लखनऊ। राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सोसाइटी की शासी निकाय की बैठक में नर्सिंग सेवा परिनियमावली को मंजूरी दी गई है। पहले चरण में स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में 1790 स्टाफ नर्स की भर्ती की जाएगी। यह प्रक्रिया तीन माह में पूरी होगी। इसके बाद हर साल दो हजार कर्मियों की भर्ती होगी।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की अध्यक्षता में हुए बैठक में कई अहम फैसले किए गए। 1790 स्टाफ नर्सों की भर्ती के लिए एसजीपीजीआई को परीक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। बैठक में महाविद्यालयों में अलग-अलग फंड बनाने पर भी सहमति बनी। तय किया गया कि प्रधानाचार्य स्थानीय स्तर पर सोसाइटी बनाएंगे। इसमें विभिन्न संगठनों एवं व्यक्ति से आर्थिक सहयोग लिया जाएगा। एकत्र राशि का उपयोग मरीजों के हित में किया जाएगा। सोसायटी में जिलाधिकारी बतौर सदस्य शामिल होंगे।
महाविद्यालयों के बैंक खातों को संचालित करने के लिए प्रधानाचार्यों को अधिकार दिए गए हैं। संबंधित कॉलेजों में दवा और उपकरण खरीदने के लिए एसजीपीजीआई की तर्ज पर हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड बनेगा। पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी एवं मरीजों को अन्य जांचें उपलब्ध कराने के लिए इंवेस्टिगेशन रेंडरिंग फंड (आईआरएफ ) बनाने को भी मंजूरी दी गई है। इस फंड से स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को सभी सुविधाएं मिल जाएंगी।डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिए कि मरीजों की देखरेख में किसी तरह की कमी नहीं आनी चाहिए। स्थानीय स्तर पर ही मरीज को इलाज मिल जाए।