प्रयागराज। उमेश पाल हत्याकांड में वांटेड पांचों शूटर अपनी लोकेशन और मोबाइल लगातार बदल रहे हैं। STF और पुलिस इसी कारण कई बार इन शूटरों के बेहद नजदीक पहुंच कर भी चूक गई। शूटरों के मददगार और पनाह देने वाले भी बिल्कुल नए हैं। सूत्रों के मुताबिक अतीक ने शूटरों को छिपाने के लिए पहले से ही प्लान तैयार कर रखा था।
मालूम हो कि उमेश पाल और दो सिपाहियों की हत्या के बाद असद, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, साबिर और अरमान फरार हो गए। जानकारी मिली है कि असद और गुलाम को छोड़कर सभी शूटरों ने 24 फरवरी की रात चकिया और आस पास के इलाके में ही बिताई थी। अगले दिन वे यहां से भागे। पुलिस ने उसी रात चकिया में अतीक के घर दबिश देकर दोनों नाबालिग बेटों और शाइस्ता को हिरासत में भी ले लिया था लेकिन, शाइस्ता को बाद में छोड़ दिया गया।
अगले दिन पुलिस ने घटना में प्रयुक्त कार अतीक के घर के सामने से बरामद की। इसके बाद क्षेत्र में भारी संख्या में फोर्स ने सर्च ऑपरेशन चलाया लेकिन सारे शूटर बाहर भाग निकले थे। STF और पुलिस की टीमें बिहार, झारखंड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, हरियाणा आदि राज्यों और नेपाल में लगातार दबिश दे रही हैं।
सूत्रों के अनुसार आगरा, बहराइच, झारखंड, बिहार के आरा, आसनसोल और कोलकाता पोर्ट के आस पास सर्च आपरेशन में पुलिस शूटरों के बेहद नजदीक जाकर चूक गई। शूटर बेहद शातिर तरीके से लगातार अपनी लोकेशन और मोबाइल बदल रहे हैं। उन्होंने किसी भी नजदीकी या दोस्त को फोन नहीं किया। बिल्कुल नए लोग उनकी मदद कर रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अतीक ने इस बार उमेश की हत्या के साथ साथ शूटरों के बाहर भागने, छिपने और उनकी व्यवस्था की प्लानिंग कर रखी है। उसे मालूम था कि घटना के बाद पुलिस और एसटीएफ की सारी टीमें शूटरों को ही खोजेंगी, इस कारण शूटरों को छिपाने और पनाह के लिए बिल्कुल नए लोगों को जिम्मा दिया गया था जिनके रिकार्ड न तो पुलिस के पास हैं, न ही उनके मोबाइल नंबर कोई जानता है।
पुलिस को शाइस्ता के बारे में जानकारी मिली कि वह गंगा के कछारी इलाके में छिपी हैं। पहले कौशाम्बी, धूमनगंज और कैंट के कछारी इलाकों में खोजबीन की गई। इसके बाद गंगापार कछारी इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया लेकिन शाइस्ता के बारे में जानकारी नहीं मिली।