पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सबमें भगवान को देखो, अगर श्रीनामदेवजी कुत्ते में भी भगवान् का रूप देख सकते हैं। तो आप कुत्ते और अन्य जीवों में परमात्मा को न देख सको तो इंसान में तो कम से कम देखो। भगवान् कहते हैं मैं सबके भीतर रहता हूं।’ ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देसे अर्जुन तिष्ठति।’ ईश्वर समस्त प्राणियों के हृदय में रहता है। आप भगवान् के वचन पर भी ध्यान दो, इसीलिए सूक्ष्म दृष्टि,छोटे नेत्र का संकेत है। श्रीगणेशजी की आंखें छोटी हैं, शरीर बड़ा है। इसका संकेत है, जब व्यक्ति ध्यान में बैठा है, आंखें छोटी करनी पड़ती हैं। गणेश भगवान् संकेत दे रहे हैं, थोड़ा नेत्र छोटे बनाकर अपने ईष्ट देव का चिंतन करना चाहिए, विपत्ति में वह आपका सहयोगी बनेगा।
श्री गणेश जी गजानन है, हाथी के नेत्रों में भगवान् ने ऐसा लेंस लगा दिया है कि- मनुष्य उसको बहुत बड़ा दिखता है जैसे दूरबीन से छोटी वस्तुएं बड़ी दिखती हैं। हाथी के नेत्रों में मनुष्य बड़ा विकराल दिखाई पड़ता है। इसलिए हाथी मनुष्यों के बीच में रहता हुआ, उनको मारता नहीं है। अगर छोटा दिख जाये तो मार देगा। छोटे नेत्र के तीन अर्थ हुए। (क)अपने ईष्ट देव का ध्यान किया करो,(ख) छोटी दृष्टि का मतलब पैनी दृष्टि, अपने कार्य की सफलता के लिए अपने आसपास रहने वालों को पैनी दृष्टि से देखो, कहीं कोई गलत कार्य तो नहीं हो रहा है।
(ग) आने वाले को अपने से बड़ा देखना- तुलसी इस संसार में सबसे मिलिये धाय। ना जाने किस भेष में नारायण मिल जाय।। हमारे सामने आने वाला व्यक्ति हो सकता है, भगवान् का ही स्वरूप हो, भगवाकन ही इस रूप में आकर परीक्षा ले रहे हो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।