भगवान् गणेश का चिंतन समस्त विपत्तियों का करता है हरण: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्री गणेश जी का चिंतन समस्त विपत्तियों का हरण करता है। विपत्ति रहित जीवन ही सुखी जीवन कहलाता है। कोई टेंशन, माइग्रेन न हो। आपके पास भौतिक साधन बहुत है लेकिन मन आपका अशांत है, सब कुछ बेकार है। आपके पास भौतिक साधन कम है जीवन निर्वाह हो जाये इतना सा है, अथवा इससे भी कम है लेकिन मन में शांति है तो आपके पास सब कुछ है। संपत्ति के साथ शांति मिल जाये तब तो कहा जायेगा कि यह तो सोने में सुहागा हुआ। न मिले तो भगवान से यही प्रार्थना करना चाहिए कि संपत्ति भले कम हो लेकिन मन शांत बना रहे ताकि किसी घटना से दुःखी न हो। श्री गणेश पुराण में लिखा है जो भगवान गणेश का यह पुराण पढ़ते अथवा सुनते हैं या उनका स्मरण या नाम भी सुन लेते हैं, उनके संकट, कष्ट ऐसे भागते हैं जैसे सूर्य को देखकर अंधकार भाग जाता है। सृष्टि के आदि देवता श्री गणेश जी महर्षि कश्यप के यहां महोत्कट विनायक के रूप में प्रकट हुए।जैसे भगवान् श्रीकृष्ण ने वसुदेव देवकी के यहां अवतार लिया, नंद यशोदा के यहां लीला किया, वैसी ही लीला श्री गणेश भगवान् के प्रारंभ की है। महोत्कट के रूप में प्रकट हुए।दस भुजाएं थी। उनको विकट कार्य करना है पृथ्वी का भार उतारना है, दुष्टों का संहार करना है। जैसे रावण कुंभकरण को मारने के लिए भगवान् श्रीराम का अवतार हुआ, कंस वध के लिए श्रीकृष्ण का अवतार हुआ, इसी तरह देवांतक और नरान्तक नाम के दो भयानक असुर हुये, जिनकी सेना में अनेक शूरवीर असुर योद्धा थे। जिन्होंने तीनों लोकों पर शासन किया, यज्ञ-दान, पूजा-पाठ, कथा-कीर्तन सब बंद करा दिया।उस नरान्तक और देवांतक का उद्धार करने के लिए भगवान गणपति प्रगट हुए। श्री महोत्कट भगवान् की जय। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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