नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध निर्माण हटाएं जानें पर सात दिन के लिए रोक लगा दिया है। जिससे की वहां के निवासियों को स्थानांतरित किया जा सके।
आपको बता दें कि पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर इलाके में उसकी जमीन पर बने 800 से अधिक कथित अवैध आवासों को गिराने का अभियान चल रहा था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह रोकने का निर्देश दिया। वही जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय करोल की अवकाश पीठ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट की एकल और खंडपीठों के आदेशों में डीडीए को अतिक्रमण हटाने के लिए आगे बढ़ने की अनुमति देने में कोई गलती नहीं पाई। पीठ ने डीडीए की वकील सुनीता ओझा से कहा कि जुलाई के दूसरे सप्ताह में इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा कि क्या जिन लोगों के घरों को हटाया जा रहा है वे दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत पुनर्वास के हकदार हैं कि नहीं।
पीठ ने आदेश में कहा कि हमें बताया गया है कि सुबह 8 बजे से डीडीए तोड़फोड़ अभियान चला रहा है। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। डीडीए की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली हाईकोर्ट मार्च में ही अवैध निर्माण वालों की याचिका खारिज कर चुका है। कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने का इच्छुक नहीं है, लेकिन डीडीए तुरंत अपना तोड़फोड़ अभियान रोके ताकि लोग खुद निर्माण खाली कर दें।
एक हफ्ते बाद डीडीए यह तोड़फोड़ अभियान फिर से चला सकता है। अदालत केवल लोगों के पुनर्वास के मुद्दे पर ही विचार करेगी. मामले की सुनवाई जुलाई में होगी. याचिका में कहा गया है कि इतनी भीषण गर्मी में लोगों को बेघर कर दिया जाएगा, जबकि उनके पास रहने का कोई विकल्प नहीं है।