Ram Mandir: आज अयोध्या नगरी में प्रभु श्रीराम विराजमान होने वाले हैं. अब से थोड़ी ही देर में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी शुरू हो जाएगा. राम मंदिर स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने के साथ अति उन्नत वैज्ञानिक युक्ति का भी परिचायक है. यह वैशिष्ट्य हर साल राम जन्मोत्सव के मौके पर परिभाषित होगा, जब सूर्य की रश्मियां तीन तल के राम मंदिर के भूतल पर पर स्थापित रामलला के ललाट पर उतरकर उनका अभिषेक करेंगी.
Ram Mandir: वैज्ञानिकों ने कर दिया करिश्मा
दरअसल, मंदिर से संबंधित वैज्ञानिकों ने इस अभियान को चुनौती के रूप में लिया और अब उन्होंने इसे संभव करने की सुदृढ़ कार्ययोजना भी तैयार कर ली है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने विशेष दर्पण और लेंस-आधारित उपकरण तैयार किया है. आधिकारिक तौर पर इस उपकरण का नाम ‘सूर्य तिलक तंत्र’ दिया गया है. वहीं, इस अभियान को सफल बनाने में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की की केंद्रीय भूमिका रही है.
Ram Mandir: अभी करना पड़ेगा इंतजार
हालांकि विज्ञान के इस करिश्में केा देखने के लिए अभी इंतजार करना होगा. जानकारी के मुताबिक इस योजना को अगले वर्ष के राम जन्मोत्सव पर लागू किया जा सकता है. वहीं, सीबीआरआई के निदेशक डा. प्रदीप कुमार रमनचारला ने बताया कि मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के ही बाद सूर्य तिलक तंत्र पूरी तरह प्रभावी हो पाएगा. बता दें कि अभी तीन तल के मंदिर का भूतल ही निर्मित हुआ है. यद्यपि गर्भगृह एवं भूतल में सूर्य तिलक यंत्र के उपकरण यथास्थान संयोजित भी किए जा चुके हैं.
Ram Mandir: गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था
बता दें कि सूर्य तिलक यंत्र में एक गियरबॉक्स, परावर्तक दर्पण और लेंस की व्यवस्था की गई है. तंत्र में इन सभी उपकरण का इस प्रकार लगाया गया है कि शिकारे के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह में लाया जाएगा. यह सुनिश्चित करने में सीबीआरआइ के वैज्ञानिकों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) ने सहायता दी.
इसी सहायता के फलस्वरूप सूर्य के पथ पर नजर रखने के लिए आप्टिकल लेंस और पीतल के ट्यूब का निर्माण किया गया. आईआईए स्थितीय खगोल विज्ञान पर आवश्यक विशेषज्ञता से युक्त संस्थान माना जाता है.
Ram Mandir: छह मिनट तक चलेगा रामलला का सूर्याभिषेक
सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने सूर्य तिलक तंत्र को इस प्रकार से डिजाइन किया है कि हर साल रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब छह मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के माथे पर पड़ेंगी.
Ram Mandir: चमत्कारी विरासत
वहीं, ट्रस्ट के न्यासी आचार्य राधेश्याम ने इस तकनीक को राम मंदिर की विरासत से जोड़कर देखा है. इस तकनीकी को लेकर उनका मानना है कि रामजन्मभूमि असाधारण भूमि रही है और यहां की दिव्यता से ही जाने-अनजाने प्रेरित हो प्रधानमंत्री ने रामलला के सूर्याभिषेक की परिकल्पना की और अब उसे हमारे वैज्ञानिक साकार करने को तैयार हैं.