Farmers Protest: सरकार ने फिर किसान नेताओं को दिया बातचीत का न्‍योता  

Farmers Protest: केंद्र सरकार और किसान संगठनों की चार बार की बातचीत बेनतीजा निकलने के बाद आज सरकार ने एक बार फिर बातचीत का न्‍योता दिया है. पहले की वार्ता में समाधान न होने पर किसान दिल्‍ली की तरफ कूच करने के लिए सड़कों पर उतर आए. आंदोलन (Farmers Protest) में शामिल 14000 किसान अपने 1200 ट्रैक्‍टरों के साथ अड़े हुए है.

आपको बता दें कि किसान एमएसपी सहित अन्‍य मांगों को लेकर दिल्‍ली कूच के लिए 13 फरवरी से किसान शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इसे देखते हुए शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर स्पेशल अलर्ट है. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि वार्ता करके समस्‍या का हल निकाला जा सकता है. साथ ही उन्होंने चौथे दौर में दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता का भी ब्योरा दिया.

 Farmers Protest: क्या बोले अर्जुन मुंडा?

कृषि मंत्री अंर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार चौथे दौर के बाद पांचवें दौर में सभी मुद्दे जैसे की एमएसपी की मांग, क्रॉप डायवर्सिफिकेशन, पराली का विषय, FIR पर बातचीत के लिए तैयार है. मैं दोबारा किसान नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं. हमें शांति बनाए रखना जरूरी है.

Farmers Protest: हमें समाधान के लिए चर्चा जारी रखनी होगी- अर्जुन मुंडा

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की ओर से चर्चा की कोशिशें की गई, कई प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई. हमें बाद में पता चला कि किसान प्रस्ताव से खुश नहीं है. किसान संगठनों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हमें समस्‍या के समाधान के लिए चर्चा जारी रखनी होगी. शांतिपूर्वक तरीके से हमें समाधान निकालना होगा. 


मामलू हो कि किसानों के 21 फरवरी से फिर दिल्ली कूच की घोषणा पर अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को भी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि किसान नेताओं ने एमएसपी पर केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया है. मैं किसानों और किसान संगठनों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं. साथ ही उन्होंने मुद्दों के समाधान के लिए चर्चा करने की बात कही.

Farmers Protest: सरकार ने किसानों के सामने क्या-क्या प्रस्ताव रखे थे?

13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन में किसान संगठनों की सबसे बड़ी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर है. किसान संगठन का कहना है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, फसलों पर एमएसपी मिले. समाधान पर चर्चा के लिए  अंतिम वार्ता 18 फरवरी को हुई थी. इसमें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय शामिल हुए थें. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बताया था कि सरकार ने मिलकर एक बहुत ही सुलझा हुआ विचार प्रस्तावित किया.

सरकार समर्थित राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नफेड)  जैसी सहकारी समितियां अगले पांच वर्ष के लिए एक अनुबंध करेंगी. इस अनुबंध के अंतर्गत समितियां किसानों से एमएसपी पर उत्पाद खरीदेंगी, जिसमें मात्रा की कोई सीमा नहीं रहेगी. सरकार के मुताबिक, ये समितियां एमएसपी पर कपास और मक्का के अलावा तीन दालों अरहर, उड़द और मसूर की खरीदने के लिए तैयार हैं.

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