Palash Tree: सनातन धर्म के अनुसार ऐसे कई पेड़ पौधो के बारे में वर्णन किया गया है जिसमें देवी देवताओं का वास होता है, जैसे केले के पेड़ में श्री हरी विष्णु, बेल के पेड़ में भगवान शिव और पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु महेश तीनों. वहीं, कई पौधे ऐसे होते है जिन्हें घर में लगाने से सुख शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है. ऐसे में ही एक है पलाश का पेड़. इसका हिंदू धर्म में होने वाले धार्मिक अनुष्ठान और कार्यों में विशेष महत्व होता है. पलाश को परसा के पेड़ के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें कि ये दो प्रकार के होते हैं एक नारंगी और दूसरा सफेद.
कहा जाता है कि पलाश के पेड़ में त्रिदेव का वास होता है. साथ ही इसको लेकर कई ज्योतिष उपायों के बारे में भी बताया जाता है. हालांकि धार्मिक उपायों के अलावा पलाश (Palash) के फूलों का इस्तेमाल आयुर्वेद में भी किया जाता है. ऐसे में आइए इस लेख के माध्यम से जानते है पलाश के महत्व एवं इसके उपयोग के बारे में…
Palash: पलाश के पेड़ उत्पत्ति
दरअसल, पलाश (Palash) का अर्थ ही होता है पवित्र पत्तियां. वहीं, हिंदू धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में पलाश के पत्ते, लकड़ी और फूलों का काफी महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि पलाश पेड़ की उत्पत्ति सोमरस में डूबे एक बाज के गिरे हुए पंख से हुई है. इइसके अलावा पलाश पेड़ को लेकर एक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि माता पार्वती ने ब्रह्म देव को पलाश वृक्ष बनने का श्राप दिया था.
Palash: पलाश के पेड़ का महत्व
वहीं, इस पेड़ का धार्मिक महत्व इसके पत्तों के त्रिकोणीय गठन से शुरू होता है. बता दें कि इसके पत्ते का मध्य भाग में भगवान विष्णु, बाईं और ब्रह्मा जी और दाईं ओर भगवान भोलेनाथ का प्रतिनिधित्व करता है. इतना ही नहीं, शास्त्रों में पलाश के पेड़ को देवताओं का कोषाध्यक्ष कहा गया है. साथ ही इसे चंद्रमा का प्रतीक भी माना जाता है. क्योंकि इसके फूल के मध्य भाग में चंद्रमा का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है.
Palash: भगवान शिव को बेहद प्रिय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सफेद पलाश के फूल, पत्ते और छाल भगवान शिव को बेहद ही प्रिय है. वहीं, पलाश के फूल का उपयोग न केवल भगवान के श्रृंगार के लिए किया जाता है बल्कि, इसके पत्तों और फूलों से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक भी किया जाता है.
Palash: धार्मिक अनुष्ठानों में पलाश का उपयोग
- हिंदू धर्म में पूजा के दौरान किए जाने वाले यज्ञों में हवन में जलाने के लिए पलाश की सूखी टहनियों एवं लकड़ियों का उपयोग बेहद ही शुभ माना जाता है.
- इसके अलावा पलाश के पत्ते से बने दोना का उपयोग श्राद्ध कार्य के लिए किया जाता है.
- कहा जाता है कि पलाश के पत्ते में भगवान को चढ़ाया हुआ भोग स्वर्ण पात्र में चढ़ा हुआ प्रसाद के समान होता है.
- वहीं, पूजा के दौरान होने वाले यज्ञ और हवन में पलाश के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है.
- धार्मिक कार्यों में उपयोग होने वाले बर्तनों के निर्माण के लिए पलाश की लकड़ियों और दोनो के रूप में इसके पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है.
- साथ ही पलाश का फूल देवी सरस्वती को चढ़ाए जाते हैं.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मान्यताओं/धर्मग्रन्थों पर आधारित है. Janta Mirror इसकी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता.)