Lord Shiv: हिंदू धर्म में बड़े और खास पर्वो में एक महाशिवरात्रि का पर्व भी होता है. जिसे पूरे देश में धूम धाम के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव का मिलन हुआ था. वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन पृथ्वी पर शिवलिंग प्रकट हुआ था. हालांकि महाशिवरात्रि का अर्थ ही है ‘शिव की महान रात’. ऐसे में जब महाशिवरात्रि का पर्व इतना नजदीक तो भगवान शिव के बारे में कुछ प्रतीकों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, तो देर किस बात की चलिए जानते है-
Lord Shiv: गले में सर्प का महत्व
आप सभी ने तो जरूर ही देखा होगा कि भगवान शिव सभी देवताओं की तरह गले में फूलों या फिर किसी धातु की माला धारण नहीं करते है. उन्होंने अपने गले में वासुकी नाग को धारण किया है. कहा जाता है कि यह भूत, भविष्य और वर्तमान का सूचक है. साथ ही इससे ये भी पता चलता है कि सभी तमोगुणी चीजें उनके अधीन हैं.
Lord Shiv: तीसरी आंख
ऐसी मान्यता है कि जब भगवान भोलेनाथ अपनी तीसरी आंख तब खोलते हैं, तब उनका क्रोध चरम पर होता है. इसके अलावा उनका तीसरा नेत्र ज्ञान और उर्जा का प्रतीक है, जिसके खुलने पर प्रलय आ जाता है. हालांकि क्रोध और काम को महादेव के अधीन बताया जाता है.
Lord Shiv: सिर पर चंद्रमा
भगवान भोलेनाथ के सिर पर चंद्रमा मुकुट की तरह सुशोभित है, जिस कारण उन्हें सोम और चंद्रशेखर भी कहा जाता है. इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है और भोलेनाथ का मन उनके ही अधीन है.
Lord Shiv: जटा में गंगा
भगवान शिव की जटा में मां गंगा विराजमान हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, शिव जी की जटाओं से ही देवी गंगा का अवतरण स्वर्ग से पृथ्वी पर हुआ था. दरअसल, गंगा माता पवित्रता और कल्याण का प्रतीक हैं, जिनके दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मान्यताओं/धर्मग्रन्थों पर आधारित है. Janta Mirror इसकी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता.)