प्रतिभासिक, व्यवहारिक और पारमार्थिक है दुनिया के तीन सत्‍य: दिव्‍य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जहां भय है वहां शांति नहीं है जहां भाव है वहां शांति है- जैसे ही सूर्य उदय होता है, निशा चली जाती है, अन्धकार मिट जाता है. भागवत रूपी सूर्य का उदय होगा तब भगवत कृपा से अपने जीवन में मोह निशा मिट जायेगी, अज्ञान अन्धकार चला जायेगा.

मोह निशा सब सोवनिहारा.

देखहिं सपन अनेक प्रकारा..

अन्धकार चला जायेगा, अज्ञान की मोह निशा मिट जायेगी, जाग जायेंगे हम. जैसे ही जागेंगे स्वप्न टूटेगा. जो टूट जाय वही तो स्वप्न होता है. स्वप्न है तो टूटना ही है, जो न टूटे, जो अखण्ड है वही तो सत्य है. इसलिए अपने यहां ज्ञानी लोगों ने संसार को भी स्वप्न कहा है, क्योंकि यह नाशवान है. परिवर्तनशील है. मोह निशा से जागेंगे, स्वप्न टूटेगा, प्रतिभासिक और व्यावहारिक दोनों सत्ता को दूर करके पारमार्थिक सत्य जो है उसका दर्शन कराएगा

श्रीमद्भागवत्. भगवान आदि शंकराचार्य तीन सत्य मानते हैं. प्रतिभासिक, व्यवहारिक,पारमार्थिक.

पारमार्थिक सत्य जो है वही ब्रह्म है. ब्रह्मरूप है. पारमार्थिक सत्य को जानने का अर्थ है परब्रह्म को जानना. रज्जू में सर्प की भ्रांति होती है, रात के अन्धकार में रास्ते में पड़ी है रस्सी, रात का समय है, अंधकार है. हम देखते हैं तो लगता है, सर्प है, डरते हैं, भय लगता है. सर्प सत्य नहीं है, वो तो प्रातिभासिक सक्ता है. लेकिन सर्प का अधिष्ठान है रज्जू. बिना रस्सी के तो सर्प की भ्रांति नहीं होती. बिना अधिष्ठान के भ्रांति नहीं होती और जब तक भ्रांति है तब तक भय है.

अब ध्यान दें की सर्प सत्य नहीं है, लेकिन आपका भय सत्य है. आपके दिल की धड़कन जो बढ़ गई वो सत्य है. आपका शरीर पसीना पसीना हो जाता है यह सत्य है. प्रातिभासिक सत्ता भी कितनी प्रभावित करती है. सर्प सत्य नहीं है लेकिन जो भय लगा है, हृदय की जो धड़कन बढ़ गई है, पसीना-पसीना हो गया है शरीर, यह सत्य है. जब प्रकाश होता है तब पता चलता है कि यह सर्प नहीं है, भ्रांति चली जाती है तब ज्ञान होता है और यह व्यावहारिक सत्य है.

भ्रांति गई तो भय गया, भय गया तो शांति हुई. जब तक भय है तब तक शांति नहीं है, हो सकती नहीं. जहां भय है वहाँ शांति नहीं है, जहां भाव है वहां शांति है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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