Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि गुरु, ब्रह्मा है, गुरु, विष्णु है, गुरु, शिव है- गुरु की कृपा के बगैर कोई भी व्यक्ति भवसागर पार नहीं कर सकता। भवसागर पार करने के लिये नाव का होना जरूरी है। मगर केवल नाव मिल जाने से भी काम नहीं चलेगा, नाव के उपरान्त कर्णधार का होना भी जरूरी है। भवसागर पार करने वाले नाविक की परम आवश्यकता है।
सद्गुरु हमारे जीवन नैया के कर्णधार हैं। संसार सागर में जब कभी तूफान आये तब हमारी जीवन नैया को सही सलामत किनारे ले जाने का काम सद्गुरु का है। विश्ववन्द्य वैष्णव कुलभूषण पूज्य गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज ने भी महिमा बताई है गुरु की।
गुरु के चरण की रज भगवान शिव के देह पर लगी भस्म के समान पवित्र है, गुरु के चरण के नाखून की जो कांति है उसका दर्शन पाते ही दिव्य दृष्टि का दर्शन होता है। ब्रह्मा जिस तरह सृजन करते हैं, उसी तरह गुरु सच्चे शिष्य का सर्जन करते हैं विष्णु की तरह गुरु शिष्य का लालन-पालन करते हैं, शिष्य के आंतरिक सद्तत्वों का संवर्धन करते हैं और शिव की तरह शिष्य के भीतर के दुर्गुणों का संहार करते हैं तथा शिष्य को सदाचारी बनाते हैं,इस दृष्टि से गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, और गुरु शिव हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।