दीमक की तरह मनुष्य के जीवनसत्व को समाप्त कर देते हैं उनके मन के पाप: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सत्संग और हरिस्मरण- मनुष्य अपने शरीर से उतने पाप नहीं करता है, जितने अपने मन से करता है.  तन से किये गये पापों के पकड़े जाने का डर रहता है, अतः मनुष्य उन्हें करने से डरता है, किन्तु मन के पाप तो गुप्त रह सकते हैं, अतः दिन-प्रति-दिन बहुत विकराल बन जाते हैं और दीमक की तरह मनुष्य के जीवनसत्व को समाप्त कर देते हैं.

इसीलिए धर्मशास्त्र मनुष्य को मानसिक पापों के सामने खूब सावधान रहने की सूचना देते हैं. आपको अपने मन के पापों के सामने स्वयं ही सावधान रहना है, क्योंकि आप ही अपने मन के पापों को पहचान सकते हो.इसीलिए जिस तरह आप हमेशा सवेरे उठकर दर्पण में अपना मुख देखे हो, उसी प्रकार रोज सत्संग के शीशे में अपने मन का निरीक्षण करो, तभी आप अपने मन को संभाल सकोगे.

जो मन की रखवाली करना जानता है, वही संत बन सकता है. अतः आज से ही सब सावधान हो जाओ.  मन से बिल्कुल पाप न हों, इस ओर पूरा ध्यान रखो. प्रभु जीवन देता है, तभी हम जीवित रहते हैं. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

इसे भी पढें:- Aaj Ka Rashifal: सभी राशियों का कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें दैनिक राशिफल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *