Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भक्तिमय व्यवहार- भक्ति सर्वत्र सम्भव है. राह चलते, गाड़ी में प्रवास करते या दुकान में बैठकर व्यापार करते- सर्वकाल एवं सर्वत्र विराजने वाले परमात्मा की भक्ति तो चाहे जहां और चाहे जब हो सकती है.
व्यापारी व्यापार करता है, इसमें कोई दोष नहीं है. उचित नफा कामना भी पाप नहीं है. परन्तु ग्राहक के अज्ञान या भोलेपन का नाजायज फायदा उठाकर उसे लूट लेना पाप है. प्रत्येक कार्य में परमात्मा की उपस्थिति का ख्याल रखकर आचरण करो. आपका व्यवहार भक्तिमय बन जायेगा.
यदि आप भगवान का सतत स्मरण रखते हुए बोलोगे तो आपके वचन भी सत्य ही होंगे. भक्ति दो तीन घंटे की नहीं, चौबीस घंटे की करो. अपने व्यवसाय के तरीके को भक्तिमय बनाओ. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).