Mahabharat : जब किसी को ऐसा मौका मिलता है कि वो भगवान से वरदान मांग सके तो व्यक्ति अकसर कुछ अच्छा ही मांगता है, चाहे वो अपने लिए, अपने संतानों के लिए या फिर अपने परिवार के लिए. लेकिन कुंती को जब भगवान से वरदान मांगने का मौका मिला तो उसने ठीक इसके विपरित वरदान मांगा. दरअसल, कुंती ने भगवान श्री कृष्ण से दुख का वरदान मांगा, जिसे सुनकर सभी को हैरानी हो सकती है. तो चलिए जानते है कि आखिर कुंती ने ऐसा वरदान क्यों मांगा.
Mahabharat : इसलिए मांगा दुख
बता दें कि कुंती, पांडवों की माता थीं. महाभारत के प्रसंग के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर युधिष्ठिर राजा बन गए. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका लौटने का फैसला किया और वो सभी से विदा लेने लगे. अंत में वह पांडवों की माता कुंती के पास आए, जो रिश्ते में श्रीकृष्ण की बुआ लगती थीं. तब उन्होंने कुंती से कहा कि आज तक अपने लिए मुझसे अपने लिए कुछ नहीं मांगा, आज मैं आपको कुछ देना चाहता हूं, इसलिए जो आपके मन में हो वो आप मांग लीजिए. इस पर कुंती ने कहा कि अगर आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो दुख दे दीजिए.
Mahabharat : कुंती ने बताया कारण
कुंती का ऐसा वरदान मांगने पर भगवान कृष्ण आश्चर्य में पड़ गए और उन्होंने कुंती से इसका कारण पूछा. कुंती ने इसका कारण बताते हुए कहा के यह मानव का स्वभाव है कि वह सुख के समय में भगवान को भूल जाता है और सिर्फ दुख के समय में ही भगवान को याद करते है. कुंती ने कहा कि आप (भगवान कृष्ण) मुझे केवल दुख में ही याद आते हो.
Mahabharat : श्रीकृष्ण ने कुंती को दिया दुख का वरदान
ऐसे में यदि मेरे जीवन में सदैव दुख रहेगा, तो मैं हमेशा ही तुम्हारी भक्ति करती रहूंगी. क्योंकि सुख के दिनों में मन भक्ति में लगता ही नहीं है. मैं हर पल तुम्हारा ही ध्यान करना चाहती हूं, इसलिए दुख मांग रही हूं. यह सुनकर भगवान श्रीकृष्ण काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कुंती को उनकी इच्छा के अनुसार ही दुख का वरदान दे दिया.
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