Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मन को जबरदस्ती पकड़कर ब्रह्मरन्ध्र में लाते हुए तेजोमय ब्रह्म में स्थिर करने को जड़ समाधि कहते हैं। ऐसी समाधि में बैठने वाले को काल भी स्पर्श नहीं कर सकता – यह बात सत्य है, किन्तु जबरदस्ती बस में किया गया मन खीज से भरा हुआ होता है, अतएव अवसर मिलते ही वह हमें खड्डे में फेंक देता है।
एक साधक ने साठ हजार वर्ष तक जड़ समाधि में बैठकर मन को जबरदस्ती जकड़ कर रखा, किन्तु जैसे ही मन को थोड़ी छूट मिली कि तुरन्त ही गंगा में नौका चलने वाली साधारण धीवर कन्या ने उसको पछाड़ दिया। इसलिए चाहे जड़ समाधि में मन का दमन होता हो, परन्तु मन में स्थित काम आदि विकार नष्ट नहीं होता। यही कारण है कि हजारों वर्षों की जड़ समाधि के बाद भी पतन की पूरी सम्भावना बनी रहती है। अतः भगवान की भक्ति ही श्रेष्ठ है। भगवान में अनुराग पूर्ण समाधि ही श्रेष्ठ है। मन उदार होगा तभी परिवार और जीवन में शान्ति स्थापित होगी।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).