Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान की कथा मां के समान है- कथा माता है. यह नया जन्म देती है. इसीलिए कथा सुनने के बाद पुराने दोषों का नाश होना चाहिए. कथा सुनने के बाद स्वभाव सुधारना चाहिए. कथा सुनने के बाद किए गये पापों के लिए मन में पछतावा होना चाहिए. कथा सुनने के बाद हृदय में यह भाव जाग्रत होना चाहिए कि मेरे पास जो कुछ है, वह प्रभु का है और मैं तो उनका सेवक हूं.
कथा सुनने के बाद हृदय में यदि ऐसे निर्मल भाव नहीं जागे तो मानना की सुनी हुई कथा सार्थक नहीं हो पाई. अभी मुझे निरन्तर सत्संग की आवश्यकता है. सत्संग के बिना न तो विवेक जाग्रत होता है. और न स्वदोष का भान ही होता है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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