Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सत्संग के अमृतविन्दु-प्रभु के लिये ही प्रभु के पास जाओ, प्रभु किसी को न सुख देते हैं न दुःख. मनुष्य के अच्छे और खराब कर्म ही उसके सुख-दुःख के कारण हैं. किन्तु चंचल मन तो प्रभु को ही सुख-दुःख का कारण समझता है.
यही कारण है कि नासमझ व्यक्ति सुख प्राप्त करने और दुःख से मुक्त होने की लालसा लेकर ही प्रभु के पास जाता है. ऐसी स्वार्थवृत्ति देखकर प्रभु बहुत नाराज होते हैं. अतः प्रभु के पास कुछ प्राप्त करने के लिए नहीं, किन्तु स्वयं प्रभु को प्राप्त करने के लिए जाओ. जिसके हृदय में से सुख प्राप्ति की अभिलाषा विदा हो जाती है, वही प्रभु का प्यारा बनकर परमसुख प्राप्त करता है.
लक्ष्मी जी को माता मानकर सत्कर्म में उसका उपयोग करोगे तो वह प्रसन्न रहेगी. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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