Ghazipur: जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा की शाकाहार, सदाचार, मद्यनिषेध आध्यात्मिक वैचारिक जन-जागरण यात्रा बुधवार को सायंकाल अपने छठवें पड़ाव पर धुरेहरा खेल मैदान में पहुंची। यात्रा के आगमन पर पंक्तिबद्ध भाई-बहनों, माताओं ने कलश दीप, पुष्पवर्षा, आरती वंदन, पुष्पाहार अर्पित कर बैण्ड बाजों के साथ स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
यात्रा के सातवें दिन सत्संग समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्था प्रमुख पंकज बाबा ने कहा कि वक्त का सबसे बड़ा वरदान है कि देव दुर्लभ मानव तन मिला। ”बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सदग्रन्थन्हि गावा।।“ कहा गया है कि ”अब याको बिरथा मत खोओ, चेतो छिन-छिन भक्ति कमाओ।।“ यह बेशकीमती शरीर खाने-पीने, मौज-मस्ती करने के लिए नहीं, भगवान की भक्ति, भजन के लिए मिला है।
उन्होंने कहा कि भक्ति गुरु की करो। गुरु परमात्मा के बोध का प्रकट खम्भा है। गुरु सर्वोपरि शक्ति है, गुरु से बढ़कर कोई शक्ति नहीं। ”तीन लोक नव खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय, कर्ता करै न करि सकै, गुरु करैं सो होय।।“ जिसको देखा नहीं, उसकी भक्ति नहीं हो सकती। ”गुरु पूजा में सबकी पूजा जस समुद्र तॅह नदी समाजा।“ गुरु की पूजा कर ली तो सबकी पूजा हो गई।
बाबा जयगुरुदेव के एक मात्र उत्तराधिकारी पंकज महाराज ने कहा कि जिस परमात्मा की खोज हम बाहर नदी, नालों, पेड़-पौधों, पानी, पत्थरों या मठ, पुरियों, तीर्थो में कर रहे हैं, वह बाहर कहीं नहीं मिलेगा। ”ज्यौं तिल मॉहीं तेल है, ज्यौं चकमक में आग, तेरा साईं तुज्झ में, जाग सकै तो जाग।“ जैसे दूध में घी, तिल में तेल, पत्थर में अग्नि छिपी है, इसी तरह परमात्मा तुम्हारे अन्दर बैठा है। कहा गया है, ”मोको कहाँ ढूँढे रे बन्दे। मौं तो तेरे पास में, न मन्दिर में, न मस्जिद में, मैं तो हूँ विश्वास में।।”
संस्था के प्रधान ने कहा कि मानव-धर्म, मानव-कर्म, के प्रचार की बहुत बड़ी जरूरत है। बिना अध्यात्मवाद के प्रचार के मानव अपने जीवन के अभीष्ट लक्ष्य को नहीं समझ सकता। न भक्ति भजन कर सकता और न भव पार जा सकता है। जब तक पाप पुण्य का, शुभ-अशुभ बोझा लदा रहेगा, जीव आवागमन से मुक्त नहीं हो सकता।
बाबा जयगुरुदेव के भक्त ने कहा कि सारा संसार शब्द पर टिका है। शब्द के बिना एक पल भी दुनिया चल नहीं सकती। शब्द यानी नाम का भेद बताने वाले गुरु से ही जीव कल्याण संभव है।
उन्होंने देश में बढ़ती हिंसा, अपराध, कदाचार, मांसाहार और नशाखोरी की प्रवृत्ति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। नैतिक पतन व अस्सी फीसदी अपराध की जड़ मांसाहार और बुद्धिनाशक नशों के सेवन को जिम्मेदार ठहराया। सभी धर्म, वर्ग, जाति स्तर के लोगों से शुद्ध शाकाहारी बनने और दूषित चरित्रहीनता के कारण बुद्धिनाशक नशों के सेवन से बचने की अपील की। चरित्र को मानव धर्म की सबसे बड़ी पूँजी बताया। अच्छे संस्कार की शिक्षा, चरित्र-उत्थान व अच्छे समाज के निर्माण को समय की माँग कहा।
बाबा जयगुरुदेव के अनुयायी ने कहा कि आगामी 3 से 5 मार्च 2026 तक जयगुरुदेव आश्रम, मथुरा में जयगुरुदेव होली सत्संग मेले का आयोजन पारम्परिक रूप से किया जायेगा। वह परम पूज्य बाबा जयगुरुदेव महाराज की पावन कर्मभूमि है। एक साथ दो फायदे होंगे। एक तो कृष्ण भगवान की मथुरा भी देखने को मिल जायेगी, दूसरे गुरु महाराज ने अपने गुरु की पुण्य स्मृति में संसार का एकलौता वरदानी मन्दिर बनवाया है, जिसमें रुपये पैसे का चढ़ावा नहीं, बुराईयां चढ़ती हैं। अपनी एक बुराई चढ़ाकर एक मनोकामना पूरी करवायें। बाबा जयगुरुदेव की जन्मभूमि खितौरा धाम जिला-इटवा में भी भव्य मन्दिर बना है। जिसे देखने के लिए सारी दुनिया के लोग आते हैं।
सत्संग में जंगबहादुर सिंह, मनबोध यादव, अजीत यादव, भानू यादव, महेन्द्र यादव, प्रभाचन्द्र, रामलक्षण यादव आदि उपस्थित रहे। सत्संग के बाद वे अगले पड़ाव के लिए कोठवॉ बुजुर्गा (मनिहारी) जहां 12 दिसम्बर 2025 को दोपहर 12 बजे से सत्संग एवं नामदान होगा।