लखनऊ। देश की बेटियां पूरे विश्व में समाज का गौरव बढ़ा रही हैं। ओलंपिक में भी बेटियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन से मेडल जीता और पूरे देश को गौरवांवित किया। उन्हें जब भी अवसर मिला है, वह बेटों से आगे निकली हैं। दीक्षांत समारोह में भी बेटियों ने सबसे ज्यादा पदक अर्जित किया है। इस परिवर्तन को स्वस्थ समाज की तरफ बढ़ते हुए कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। यह बातें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के नौवें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं। इस अवसर पर उन्होंने सात मेधावी छात्रों को अपने हाथों से मेडल प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चांसलर प्रकाश चंद्र बरतुनिया व कुलपति प्रो. संजय सिंह मंच पर उपस्थित थे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद नेसावित्री बाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास करते हुए कहा कि मैं खुद को गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने 125 वर्ष पहले बेटियों की शिक्षा के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए। उन्होंने वर्तमान में बेटियों की उपलब्धि को बाबा साहेब केसपनों को सच होता बताया। राष्ट्रपति ने छात्रों को उद्यमिता की तरफ बढ़ने का आह्वान करते हुए उन्हें नौकरी पाने वाले न बनकर नौकरी देने वाले बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के पक्षधर थे। इस दिशा में विवि के इनक्यूबेशन सेंटर के स्थापना की उन्होंने प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि देश में स्टार्टअप का अच्छा इकोसिस्ट है। 100 से अधिक एक बिलियन वाले स्टार्टअप हैं। आज हर क्षेत्र में बदलाव हो रहे हैं, इसके लिए युवाओं को खुद को तैयार रहने की सलाह दी। उन्होंने छात्रों को विवि की मूल भावना प्रज्ञा, शील, करुणा के आदर्श को जीवन में लागू करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आज देश में सर्वाधिक संख्या 25 साल से कम आयु वालों की है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वर्ष 2047 में जब हम आजादी के 100 वर्ष मना रहे हो तब भारत भेदभाव मुक्त, न्याय, समता, बंधुत्व में खुद को ढाल चुका हो। इसके लिए अभी से संकल्पबद्घ होकर काम करना है। यही बाबा साहेब का भी सपना था, हमें उनके सपने को पूरा करना है।