वाराणसी। भोले की नगरी काशी में नंदलाला के जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। ज्योतिष विधि-विधान के अनुसार गृहस्थ आज भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाएंगे। वहीं संन्यासी 31 अगस्त को बाल-गोपाल के प्राकट्य दिवस पर दर्शन करेंगे। रविवार को घरों में कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी सजाने के लिए लोग देर शाम तक खरीदारी करते रहे। कोई उनका पोशाक पसंद कर रहा था तो कोई उनकी बांसुरी और मोर मुकुट चुनने में लगा हुआ था। शृंगार से जुड़े सामानों के साथ फूल और फल की भी खूब खरीदारी हुई। हरे कृष्ण हरे राम संकीर्तन सोसाइटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय महामहोत्सव का रविवार को महमूरगंज स्थित माहेश्वरी भवन में हरे कृष्ण महामंत्र के साथ भव्य शुभारंभ किया गया। महोत्सव के अवसर पर राधा गोविंद देव, जगन्नाथ, बललदेव व सुभद्रा जी का शृंगार किया गया। झूला तो झूले रानी राधिका झूलावे नंद कुमार…, मन बस गयो नंद किशोर अब जाना नहीं कहीं और बसा लो वृंदावन में… भजनों से पूरा माहौल ब्रज जैसा लग रहा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी संस्कार, संस्कृति, भारतीयता और राष्ट्रीयता का पर्व है। इस दिन अंधकार, अन्याय, अत्याचार और आतंकी भाव का शमन होता है। आज की पीढ़ी के लिए भगवान श्री कृष्ण के अवतार को अपना पथ प्रदर्शक माना जाता है। ये विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के पूर्व संध्या पर व्यक्त किए। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखने के साथ विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। घर में मौजूद भगवान की प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्र पहनाकर, धूप-दीप से वंदन करें। भगवान को पुष्प अर्पित करें, चंदन लगाएं। भगवान कृष्ण को दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं, ऐसे में इसका प्रसाद बनाएं और भगवान को अर्पित करें, सभी को वही प्रसाद दें।