ज्ञान, साधना और संस्कृति की अद्भुत भूमि है जनपद गाजीपुर: सीएमडी उपेंद्र राय

Ghazipur Literature Festival 2025: वाराणसी के होटल द क्लार्क्स में शुक्रवार को गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत एक गरिमामय माहौल में हुई. इस उद्घाटन सत्र में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने न सिर्फ आयोजन की पृष्ठभूमि पर विस्तार से बात की, बल्कि गाजीपुर की सांस्कृतिक विरासत और युवाओं की ऊर्जा को लेकर कई महत्वपूर्ण संदेश भी दिए.

कार्यक्रम में देश–विदेश के प्रतिनिधियों, सांस्कृतिक हस्तियों और साहित्य की दुनिया से जुड़े लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे. दक्षिण अफ्रीका के हाई कमिश्नर और कई अंतरराष्ट्रीय अतिथि भी समारोह का हिस्सा बने.

गाजीपुर जैसे जिले में फेस्टिवल आयोजित करना ‘साहसिक कदम’

उपेंद्र राय ने कहा कि बड़ी सांस्कृतिक गतिविधियां आमतौर पर दिल्ली, मुंबई, जयपुर या वाराणसी जैसे महानगरों और मुख्य धारा के शहरों में आयोजित होती हैं. वहां जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, जश्न-ए-रेख्ता और साहित्य आज तक जैसे इवेंट पहले ही माइलस्टोन के रूप में स्थापित हो चुके हैं.

उन्होंने कहा कि “गाजीपुर एक ऐसा जिला है, जो पारंपरिक टियर ए, बी, सी या डी किसी भी श्रेणी में फिट नहीं बैठता. लेकिन हमने इसे केंद्र में रखकर फिल्म और साहित्य संवाद का प्रारूप बनाया. पूजा और विवेक ने प्रस्ताव दिया, और मुझे लगा कि यह आयोजन गाजीपुर की पहचान को नया आयाम देगा.”

उन्होंने बताया कि फेस्टिवल में दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति गाजीपुर की उस ऐतिहासिक कड़ी को भी जोड़ती है, जब यहां के लोग मजदूर बनकर दुनिया के दूसरे देशों में गए थे. “आज वह पीढ़ी अंतरराष्ट्रीय पदों पर बैठकर गाजीपुर से जुड़ रही है. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है.” उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी बड़े कार्य में मुश्किलें आती हैं, लेकिन नजर हमेशा लक्ष्य पर रहनी चाहिए. “मुश्किलें हर काम में होती हैं. सिर्फ सफलता की दिशा में चलते रहना चाहिए.”

गाजीपुर की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत पर विशेष जोर

अपने भाषण में उपेंद्र राय ने गाजीपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि यह जिला भारत के उन चुनिंदा क्षेत्रों में है, जहां साहित्य और अध्यात्म दोनों की मजबूत जड़ें रही हैं. उन्होंने गाजीपुर के इन साहित्यिक महानायकों को याद किया. कुबेरनाथ राय, जिन्हें उन्होंने भारत का बेजोड़ ललित निबंधकार बताया. डॉ. विवेकी राय, जो पूर्वांचल की साहित्य परंपरा के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे. भूला राय ‘राजावादी’, जिन्हें हास्य-व्यंग्य की एक अनोखी आवाज कहा और डॉ. राही मासूम रज़ा, जिनके संवाद और पटकथा लेखन ने भारतीय सिनेमा और टीवी को नई पहचान दी, उन्होंने कहा कि गाजीपुर अध्यात्म की भूमि भी रही है. “स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद को पवहारी बाबा के पास भेजा था. यह वही भूमि है, जहां साधना, ध्यान और ज्ञान की परंपरा गहरी है.” वीरता की भूमि- अब्दुल हमीद की शौर्यगाथा को याद किया

सीएमडी उपेंद्र राय ने परमवीर चक्र विजेता हवलदार अब्दुल हमीद को विशेष रूप से याद किया. “1965 के युद्ध में उन्होंने पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट करते हुए जो साहस दिखाया, वह भारतीय सेना के इतिहास का गौरव है.”

गाजीपुर की गंगा और बदलती धारा

उपेंद्र राय ने यह भी कहा कि गाजीपुर वह स्थल है, जहां गंगा अपनी धारा बदलती है. “किस दिशा में क्यों बदलती है, यह आज भी रहस्य है. लेकिन यह बताता है कि यह अद्भुत भू-भाग है. ज्ञान, साधना और संस्कृति की यह भूमि सदियों से भारतीय चेतना को दिशा देती आई है.”

युवाओं के लिए दी खास सलाह

अपने संबोधन में उपेंद्र राय ने युवाओं के भटकने संबंधी धारणाओं से भी असहमति जताई. उनका कहना था कि सोशल मीडिया की वजह से यह भ्रम बन गया है कि युवा केवल रील और वीडियो में खो गए हैं. उन्होंने कहा कि “आज का युवा पहले के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ है, ज्यादा सुरक्षित है और ज्यादा जागरूक है. वह एक मेडिकेटेड और वैज्ञानिक युग में जन्म लेता है, जहां उसकी जीवन ऊर्जा सुरक्षित रहती है. पहले बच्चे जन्म लेते ही कई बीमारियों में घिर जाते थे, लेकिन आज की पीढ़ी ऊर्जा से भरी है, बस उसे सही दिशा देने की जरूरत है.”

आत्मा, जन्म और मानव विशिष्टता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर बच्चा अपने आप में अद्वितीय है. “हमारी बायोमेट्रिक पहचान दुनिया में किसी दूसरे व्यक्ति से नहीं मिलती. यह ईश्वर की बनाई अद्भुत कोडिंग है. इसलिए बच्चों को प्रेरित करने और उनकी ऊर्जा जगाने की जरूरत है.” उन्होंने युवाओं को डिजिटल युग के साहित्य से भी जुड़ने की सलाह दी. “आज इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और तमाम सोशल प्लेटफॉर्म पर शानदार साहित्य उपलब्ध है. बस देखने और जानने की जरूरत है.”

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