Varanasi News: इस वर्ष जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है, इसी कड़ी में चल रहे जी-20 समूह के सम्मेलनों के क्रम में आज वाराणसी के हस्तकला संकुल में विकास मंत्रियों की बैठक शुरू होगी। जिसकी अध्यक्षता विदेशमंत्री डा. एस जयशंकर करेंगे। विदेशमंत्री के द्वारा बताया गया कि इस बैठक से पहले पीएम नरेंद्र मोदी का विशेष वीडियो संबोधन होगा। इसके बाद मंत्री समूह कूटनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा करेगा। वहीं इसें साथ ही तकनीक और सांस्कृतिक विरासत के आदान प्रदान पर जोर दिया जाएगा।
भविष्य के विकास मॉडल पर चर्चा के लिए दो सत्र तय
आपको बता दें कि भविष्य के विकास मॉडल पर चर्चा के लिए दो सत्र तय हैं। पहले सत्र बहुपक्षवाद में त्वरित प्रगति के लिए सामूहिक कार्रवाई की रणनीति बनाई जाएगी।वही दूरसे सत्र में हरित विकास पर चर्चा किया जाएगा। इसमें पर्यावरण के लिए सभी देशों को एक जीवनशैली अपनाने के दृष्टिकोण को बताया जाएगा।
सभी मुद्दों पर होगी अनौपचारिक चर्चा
दुनिया की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जी-20 देशों के मेहमान बीते दिन यानी 11 जून को काशी पहुंच गए। जहां एयरपोर्ट से होटल और गंगा घाटों तक भव्य स्वागत से सब अभिभूत दिखे। मेहमानों ने काशी की सभ्यता, संस्कृति को नमन किया और उसके धार्मिक महत्व को समझा। देर शाम विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती की भव्य और अद्भुत छटा देख मंत्रमुग्ध हो गए। अब जी-20 देशों के विकास मंत्री विकास का खाका खींचेंगे, फिर उसे अमल में लाने की रणनीति बनाएंगे।
जी-20 देशों के तीन दिवसीय (11-13 जून) सम्मेलन की शुरूआत रविवार की देर शाम गाला डिनर के साथ हुई। विदेशमंत्री डा एस जयशंकर और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में अलग-अलग देशों के विकास मंत्रियों का स्वागत किया गया। इसके साथ ही कहा गया कि बैठकों का दौर सोमवार से शुरू होगा। इससे पहले सभी मुद्दों पर अनौपचारिक चर्चा की जाएगी।
दुनिया में भारत की स्थिति अद्वितीय है
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी देशों से हमारे रिश्ते अच्छे हुए हैं। नेपाल से हमारा संबंध ही रोटी-बेटी का है। यहां सीमाएं खुली हुई हैं। यदि इस पर दीवार लगाई जाएगी तो इसका गलत संदेश जाएगा। शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र में दूसरे देशों के सहयोग के विषय पर कहा कि दुनिया में भारत की स्थिति अद्वितीय है। विकसित देशों में फार्मा उद्योग बहुत अलग है और उन्होंने महामारी के समय भी किसी की मदद नहीं की थी। मगर, भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में भी दुनिया को अपना कायल बनाया।