गोरखपुर। कोविड टीकाकरण के संबंध में कई प्रकार की आशंकाएं लोगों के मन में उठ रही हैं। इनके पीछे कुछ भ्रांतियां भी कारक हैं। इन आशंकाओं और भ्रांतियों के संबंध में गोरखपुर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी के. एन. बरनवाल ने कहा है कि लोगों को पुष्ट और प्राणाणिक बातों पर ही विश्वास करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि मधुमेह के साथ टीकाकरण करवाने से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। मधुमेह के रोगियों को कोविड का टीका निःसंकोच लगवाना है। केवल तेज बुखार वालों और गर्भवती को टीका नहीं लगवाना है। यहां तक कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी टीका लगाने का दिशा-निर्देश है। टीका लगवाने के बाद भी स्तनपान जारी रखना है। जो लोग हृदय और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें अपने चिकित्सक के परामर्श के बाद ही टीका लगवाना है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी ने बताया कि वह खुद मधुमेह पीड़ित हैं। मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए वह इंसुलिन का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कोविड सैंपलिंग करवाने का काम भी किया है, जिसके कारण वह कई बार कोविड पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आ चुके हैं। कोविड टीके की दोनों डोज लेने के बाद एक मधुमेह रोगी के तौर पर उन्होंने कोई परेशानी महसूस नहीं की। उन्होंने कहा कि कोविड टीका लगवाने के बाद कुछ लोगों को बुखार आता है, जो कि टीके की सामान्य प्रवृत्ति है और इससे घबराना नहीं चाहिए। अगर टीका लगवाने के बाद बुखार आ रहा है तो चिकित्सक की सलाह पर दवा ले सकते हैं। बरनवाल ने बताया कि टीका लगवाने के बाद बस इस बात ध्यान रखना है कि कोविड नियमों का सख्ती से पालन करें। लगातार देखा जा रहा है कि टीके की दोनों डोज ले चुके लोग कोविड पॉजिटिव हो रहे हैं, लेकिन उनमें जटिलताएं कम देखने को मिल रही हैं और ऐसे लोग स्वस्थ भी हो जा रहे हैं। इसका आशय यह नहीं है कि टीका लगवाने के बाद लापरवाही बरती जा सकती है। ऐसा करने वाले अपने परिवार के साथ-साथ करीबियों के बीच कोविड का प्रसार कर सकते हैं। सावधानी न बरतने पर घर के बच्चे भी कोविड से प्रभावित हो सकते हैं, जिनके लिए फिलहाल अभी कोई टीका नहीं आया है।