ईश्वर की आराधना करने से जीवन के लक्ष्य की होगी प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि रुद्रसंहिता (युद्धखंड) त्रिपुरासुर का उद्धार, जालंधर, शंखचूड़, अंधकासुर के उद्धार की कथा और बाणासुर की शिव भक्ति की कथा किसी व्यक्ति ने महात्मा से पूछा कि रामायण सही है या गलत। महात्मा ने कहा कि रामायण की जब लीला हुई तब मैं पैदा नहीं हुआ था और श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने जब रामायण लिखा तब भी मैं नहीं था, मुझे पता नहीं रामायण सही है या गलत, लेकिन इतना पता है कि रामायण पढ़ने से हमारा जीवन सही हो गया।जीवन में भटकाव बहुत आते हैं। भटकने वाले कहीं नहीं पहुंचते और सीधे चलने वाले अपनी मंजिल प्राप्त कर लेते हैं। बैल दो तरह के होते हैं एक शिव का नन्दी और दूसरा तेल की घानी का बैल, चलते दोनों हैं, लेकिन शिव का नन्दी कहां से कहां पहुंच जाता है और घानी वाला बैल सुबह से शाम तक चलता है, लेकिन वहीं का वहीं रहता है। अगर हम सीधा कर्म और उपासना के मार्ग पर चलेंगे, कर्तव्य पालन और ईश्वर की आराधना करेंगे तो जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। और भटकते रहेंगे तो हम कहीं नहीं पहुंचेंगे। युद्धखंड में त्रिपुरासुर से लेकर अंधकासुर तक बहुत से दानवों के उद्धार की कथा है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, सुदामा सेवा संस्थान का पावन स्थल,महाराज श्री, श्री श्रीघनश्याम दास जी महराज के पावन में सानिध्य शिवपुराण कथा में कल शत् रूद्र संहिता की कथा होगी।

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