कोरोना से लड़ने में मदद करेगा विटामिन ए, पांच साल तक के बच्चों के लिए है अनिवार्य

गोरखपुर। गोरखपुर में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले विशेषज्ञ बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाने की सलाह दे रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. छेत्रपाल यादव ने बताया कि नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-ए पिलाने से बच्चों में संक्रमण की आशंका काफी कम हो जाती है। इससे इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ती है। डॉ. छेत्रपाल ने बताया कि बच्चों को विटामिन-ए की खुराक देने से शरीर की एपिथीलियल लेयर मजबूत होती है। यह परत हर बच्चे के रिसपैरेट्री ट्रैक यानी श्वसन तंत्र में भी होती है। यदि बच्चे के रिसपैरेट्री ट्रैक की एपिथीलियल लेयर मजबूत रहेगी तो कोरोना वायरस भी इस परत पर अतिक्रमित करने में कमजोर होगा। इससे वायरस के श्वसन तंत्र से भीतर जाने की गुंजाइश भी काफी कम हो जाती है। बताया कि कोविड की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए सभी को अपने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके लिए विटामिन-ए काफी मददगार साबित हो सकता है। यह वसा में घुलनशील विटामिन है और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है। उन्‍होंने बताया कि सीएनएनएस की वर्ष 2016-18 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक से चार वर्ष तक के 16.9 प्रतिशत बच्चे विटामिन-ए की कमी से ग्रस्त हैं। एनीमिया, रोग प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होना, आंखों की रोशनी कम होना, अंधापन होना, आंखों में आंसू न बनना, त्वचा रूखी हो जाना और मुंह में छाले, दस्त जैसी समस्या होना। नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों विटामिन-ए की खुराक दी जाती है। नौ से 12 माह तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण के दौरान एमआर के प्रथम टीके के साथ एक मिलीलीटर (एमएल) विटामिन ए की खुराक पिलाई जाती है। जबकि 16 माह से 24 माह के बच्चों को एमआर के दूसरे टीके के साथ दो एमएल की खुराक देनी होती है। हर छह माह पर बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान दो वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों को दो एमएल विटामिन ए पिलाया जाता है।

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