वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रदेश का पहला हाइब्रिड मॉडल विश्वविद्यालय बनेगा। विवि को अपने शताब्दी वर्ष में विशिष्ट दर्जे की सौगात मिल सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन इसके लिए डीपीआर तैयार कर रहा है। जल्द ही इसे कुलाधिपति को भेजा जाएगा। राज भवन से स्वीकृति मिलते ही प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आजादी की लड़ाई में योगदान देने के लिए स्थापित काशी विद्यापीठ ने सौ साल पूर्ण कर लिए हैं। यह देश भर के चुनिंदा विश्वविद्यालयों में से एक हैं जिसने शताब्दी वर्ष का सफर पूरा किया है। ऐसे में विश्वविद्यालय को विशिष्ट दर्जा दिलाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। कुलाधिपति ने कुलपति से विश्वविद्यालय की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी है। पंजाब विश्वविद्यालय की तर्ज पर विशिष्ट दर्जा दिलाने के लिए डीपीआर तैयार हो रहा है। कुलपति ने पूरी टीम को कार्ययोजना तैयार करने में लगा दिया है। संभावना है कि वर्तमान सत्र में ही इसकी संस्तुति हो जाएगी। प्रधानमंत्री के वाराणसी आगमन पर कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने विशिष्ट दर्जा दिलाने की मांग रखी थी। पीएम ने कुलपति को मामले में कुलाधिपति से चर्चा करने को कहा था। कुलपति ने जब कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल से चर्चा की तो उन्होंने डीपीआर मांगी है। कुलपति ने बताया कि देश में हाइब्रिड मॉडल कॉमन नहीं है। हमारे यहां या तो पूरी तरह से केंद्रीय विश्वविद्यालय है या फिर राज्य विश्वविद्यालय हैं। हाइब्रिड मॉडल में कुछ हिस्सा केंद्र सरकार का होता है और कुछ राज्य सरकार का। उदाहरण के तौर पर पंजाब विश्वविद्यालय में 60 फीसदी हिस्सा केंद्र और 40 फीसदी प्रदेश सरकार का है। इसके चांसलर उपराष्ट्रपति हैं। विशिष्ट दर्जा मिलने के बाद काशी विद्यापीठ प्रदेश का पहला हाइब्रिड मॉडल वाला विश्वविद्यालय बन जाएगा।