गोरखपुर। प्रदेश में मानचित्र स्वीकृत करने में संबंधित आर्किटेक्ट का डिजिटल सिग्नेचर शासन जल्द ही अनिवार्य कर सकता है। लखनऊ के आर्किटेक्ट के फर्जी हस्ताक्षर व पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल कर जीडीए से कई मानचित्र स्वीकृत कराने के मामले के खुलासे के बाद आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने शासन से यह मांग की थी। उधर प्रदेश के मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक बृहस्पतिवार व शुक्रवार को गोरखपुर सहित प्रदेश के करीब 100 आर्किटेक्ट से ऑनलाइन संवाद किया जा रहा है। इसमें आर्किटेक्ट एसोसिएशन फिर से डिजिटल सिग्नेचर की मांग दोहराएगा। माना जा रहा है कि इस मांग को मानते हुए नए साफ्टवेयर में इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा। नियोजक की ओर से बृहस्पतिवार से शुरू होने वाली वर्चुअल बैठक चार सत्रों में चर्चा होगी। मानचित्र दाखिल करने के लिए विकसित सॉफ्टवेयर पर भी चर्चा की जाएगी।
उत्तर प्रदेश आर्किटेक्ट एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मनीष मिश्रा ने बताया कि मानचित्र स्वीकृति में डिजिटल सिग्नेचर की अनिवार्यता पहली मांग है। इसके साथ ही मानचित्र मंजूरी के लिए अग्निशमन विभाग, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन विभाग, तहसील, जिला पंचायत जैसे विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है। मांग की जाएगी कि सभी विभागों की अनापत्ति ऑनलाइन मिले। बता दें कि, फर्जी तरीके से लखनऊ के आर्किटेक्ट की आइडी पर जीडीए में करीब 50 से अधिक मानचित्र पास हो गए थे। यह मामला सार्वजनिक होते ही हड़कंप मच गया और कई लोग अपने मानचित्र की वैधता जांचने के लिए जीडीए का चक्कर लगाने को मजबूर हो गए थे। जीडीए से पहले इस तरह का मामला मेरठ विकास प्राधिकरण में भी सामने आया था। वहां इस मामले में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने दोनों प्राधिकरणों में हुए फर्जीवाड़े का मामला प्रमुख सचिव आवास के समक्ष भी उठाया था, जिस पर उन्होंने मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक को आर्किटेक्टों की समस्याओं का निराकरण करने का निर्देश दिया है। इसी क्रम में बृहस्पतिवार से दो दिन तक आर्किटेक्ट से संवाद किया जाएगा।