स्वयं सहायता समूहों ने शुरू की मशरूम की खेती

अमेठी। शिक्षित बेरोजगार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह से जुड़े सदस्यों को कई योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। एनआरएलएम की ओर से मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण देने के बाद तीन समूह की महिलाओं द्वारा 0.8 हेक्टेयर पर खेती की जा रही है। जिले में गठित समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें शासन से संचालित कई योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। सीडीओ डॉ. अंकुर लाठर की पहल पर इन दिनों समूहों को मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। एनआरएलएम की ओर से इच्छुक तीन समूह को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हुए मशरूम की खेती कराई गई है। सीडीओ ने बताया कि ब्लॉक जगदीशपुर के गांव सिंदुरवा में संचालित मुस्कान स्वयं सहायता समूह की अनीसा बानो, उतेलवा गांव में संचालित जय श्रीकृष्ण स्वयं सहायता समूह की कविता पाल तथा पलिया पश्चिम गांव में संचालित बालाजी स्वयं सहायता समूह की मंगला देवी मशरूम की खेती कर रही हैं। अनीसा 0.2 हेक्टेयर, कविता 0.5 हेक्टेयर तो मंगला 0.1 हेक्टेयर पर खेती कर रही हैं। सभी को 15-15 हजार रुपये रिवॉल्विंग फंड के रूप में दिए गए हैं। इनकी सामुदायिक निवेश निधि 1.10 लाख रुपये स्वीकृत है। अनीसा बानो 40 हजार की लागत पर अब तक 45 हजार रुपये कीमत के मशरूम की बिक्री कर चुकी हैं। कविता 63 हजार रुपये निवेश कर अब तक 70 हजार रुपये कीमत के मशरूम की तो मंगला 37 हजार रुपये लगाकर 40 हजार रुपये का मशरूम बाजार में बेच चुकी हैं। जहां कि प्रयोग के तौर पर तीन समूहों से खेती शुरू कराई गई है। इनकी सफलता देखने के बाद और कई समूह स्वयं मशरूम की खेती करने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। सीडीओ ने कहा कि कुछ ही दिनों में अमेठी मशरूम की खेती हब के रूप में जाना जाएगा।

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