पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि यदि अपरिपक्व व्यक्ति को धन मिल जाए, तब वह उसका दुरुपयोग करेगा। इसी प्रकार साधन हीन व्यक्ति को यदि बुद्धि मिल जाए तब वह अपनी बुद्धि का दुरुपयोग करेगा। विद्या विवादाय धनं मदाय। विवेकहीन व्यक्ति के लिए विद्या विवाद का विषय बन जाती है। बुद्धि से तर्क-कुतर्क करता है। बुधहीन और साधनहीन व्यक्ति को धन मिल जाए, उसके अभिमान को बढ़ाने में हेतु बनेगा। बुद्धिहीन व्यक्ति को मिला बल सज्जनों को सताने में हेतु बनेगा। समझदार व्यक्ति को मिली विद्या ज्ञान का हेतु बनती है। समझदार व्यक्ति को मिला धन दान का हेतु बनता है और उनको मिला बल सज्जनों की रक्षा का हेतु बनता है। विद्या शास्त्र चिंतन के लिए है, भगवद् दर्शन के लिए है लेकिन यदि विद्या साधन हीन को मिल गई, तब वह तर्क-कुतर्क करके अपने जीवन को उलझन में डाल लेता है। कई व्यक्ति यह समझ बैठते हैं कि उनके पास सबसे ज्यादा बुद्धि है, यह एक प्रकार से बुद्धि का अजीर्ण कहलाता है। ऐसा व्यक्ति सदा तनाव में जीता है।
अपनी बुद्धि को अंतिम परिमाण नहीं मानो, शास्त्रों के निर्णय को अंतिम परिमाण मानो, माता-पिता और गुरु के निर्णय को अंतिम प्रमाण मानो। अपनी बात पर अड़ जाना समझदारी नहीं है। भिखारी सौ जगह ठोकरें खाता है, सौ जगह झिड़कियां खाता है, अपमान सहता है, लेकिन उसे क्रोध नहीं आता। क्रोध आ जाए तब मांगना ही छोड़ देगा, लेकिन एक धनवान को जरा-सी आंख दिखा दो, वह तुम्हारी आंख ही फोड़ने की कोशिश करेगा। मुझे तुमने ऐसा कहा, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? जिंदगी भर तुम्हारा मुख नहीं देखूंगा। उसका धन बोल रहा है, उसका पद बोल रहा है। मैं इतना बड़ा व्यक्ति और मुझे यह कह दिया गया। अल्ट्रासाउंड में यदि देखा जाए, तब उसका कहा हुआ कहीं चिपका हुआ दिखता है क्या? बात हमारे अंदर चिपकी या नहीं चिपकी लेकिन हमारे अहंकार को चोट लगी, उसने ऐसा कहा क्यों? जब तक उसका बदला नहीं ले लेंगे, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।