नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के संभावित परीक्षण की खबरों का खंडन किया है। डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने बताया कि परमाणु सक्षम मिसाइल का कोई परीक्षण नहीं किया जा रहा है। अग्नि श्रृंखला की इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। माना जा रहा है कि इस नई मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 से 8,000 किमी है। हालांकि सटीक सीमा अभी स्पष्ट नहीं है। चीन सहित कुछ देशों का कहना है कि भारत अग्नि-5 की सही रेंज का खुलासा नहीं कर रहा है। अक्टूबर में होने वाले परीक्षण में पहले ही देरी हो चुकी है। यह 2020 में होना था, लेकिन कोविड-19 के कारण स्थगित कर दिया गया था। मिसाइल का परीक्षण मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स से किया जाएगा। अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने बनाया है। ये भारत के पास मौजूद लंबी दूरी की मिसाइलों में से एक है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि आईसीबीएम अपने सबसे तेज गति से 8.16 किलोमीटर प्रति सेकंड की यात्रा करने वाली ध्वनि की गति से 24 गुना तेज होगी, जो 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्च गति प्राप्त करेगी। मिसाइल रिंग लेजर गायरोस्कोप इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम (नाविक) से लैस है, जो उपग्रह के मार्गदर्शन के साथ काम करता है। मिसाइल सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।