पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कथा के प्रसंग-नगर दर्शन, पुष्प वाटिका, धनुषयज्ञ, लक्ष्मण परशुराम संवाद,और श्री सीताराम विवाह महोत्सव, सत्संग के अमृतबिंदु-।।उठहु राम भंजहु भव चापा।। धनुष का टूटना क्या है? अभिमान का टूटना ही धनुष का टूटना है। धनुष माने अभिमान, अहंकार। यह धनुष किसका है? शंकर का, और शंकर अहंकार के देवता है और वह धनुष दे दिया उन्होंने। अच्छा जब भगवान शंकर जी ने जनक को धनुष दिया तो बाण साथ में क्यों नहीं दिया? यह भी तो एक प्रश्न है कि नहीं? जब धनुष दिया तो वाण भी देना था। तो बोले,” नहीं । अहंकार के ऊपर से मन रूपी बाण चलाओगे तो अनर्थ हो जायेगा। तो केवल धनुष इसलिए दिया- यह चलाने के लिए नहीं यह तो तोड़ने के लिए है। अगर अभिमान टूट जायेगा तो भक्ति और भगवान का मिलन हो जायेगा। अभिमान को तोड़ना है, चलाना नहीं है। अभिमान को चलाओगे तो खतरनाक हो जायेगा। आप अंधकार में और अंधकार ले जाओगे तो अंधकार और गहरा हो जायेगा। अंधकार नष्ट, अंधकार से नहीं होता वह तो प्रकाश से नष्ट होता है। यह बड़े काम की बात है। जो अभिमानी राजा बैठे हुए थे- भगवती सिया जब मंडप में प्रवेश करती हैं तो लिखा है कि- “रंगभूमि जब सिय पगु धारी। देखि रूप मोहे नर नारी।।” भगवती जानकी ने जब मंडप में, रंगभूमि में प्रवेश किया, भगवती जानकी का अनंत सौंदर्य देख करके नर-नारी सभी मोहित हो गये। उत्तरकांड में लिखा है कि- “मोहे न नारि नारि के रूपा। पन्नगारि यह रीति अनूपा।।” नारी नारी के रूप पर आकर्षित नहीं होती। भगवती सीता का स्वरूप इतना दिव्य है कि सब मोहित हो गये। स्त्री का ज्यादा बोलना शोभा नहीं देता। भगवती सीता का सरस्वती जी के समान कह देना ठीक नहीं है, क्योंकि श्री सीता जी अधिक नहीं बोलती, कम बोलती हैं।” तब अरध भवानी ” अगर पार्वती से उपमा दी जाये तो बोले वे आधी हैं। अर्धनारीश्वर है भगवान शंकर, उनका तन आधा है । लक्ष्मी जी से उपमा दी जाये तो बोले- विष और वारुणी लक्ष्मी के भाई हैं। भगवती श्री सीता जी तो सबसे श्रेष्ठ है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।