ईश्वर की आराधना करना मानव मात्र का है परम धर्म: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि दूसरे जीव जंतुओं से मनुष्य अपनी तीन विशेषता अलग रखता है। खाना, पीना, सोना, जगना, बाल-बच्चों का जन्म ये तो सभी जीवों के साथ में है। लेकिन मनुष्य दूसरे जीव जंतुओं से धर्म में बड़ा है, कर्म में बड़ा है, और ज्ञान में बड़ा है। जिस मनुष्य के जीवन में न तो धर्म है, न कोई सत्कर्म है और न आध्यात्मिक ज्ञान है, वह मनुष्य रूप में जीव जंतुओं के समान ही है। चौरासी लाख शरीरों में घूमता हुआ जीव, मनुष्य शरीर प्राप्त करता है। मनुष्य शरीर को प्राप्त करके धर्म-कर्म, साधना के द्वारा आवागमन के चक्कर से छुटकारा पा जाता है और ईश्वर की प्राप्ति करता है। समस्त साधनों का धाम मानव देह है। मानव शरीर पा करके भी जो परमार्थ अर्थात् सत्कर्म और ईश्वर की आराधना नहीं करता, वह प्राप्त अवसर को चूक रहा है। ईश्वर की आराधना करना मानव मात्र का परम धर्म है। अपने कर्तव्य का पालन करना सभी का धर्म है। सबके कर्तव्य अलग-अलग हैं। माता-पिता का कर्तव्य अलग है, बच्चों का मां-बाप के प्रति कर्तव्य अलग है। कर्तव्य पालन करना सबका धर्म है और ईश्वर की आराधना करना सबका परम धर्म है। भगवान शंकर स्वयं ईश्वर हैं। लेकिन परम धर्म का उपदेश करने के लिए, अपने चरित्र से मानव मात्र को भागवत धर्म की शिक्षा देते हैं। काशी में जिसकी मृत्यु होती है, उसे भगवान शिव रामनाम का उपदेश करते हैं, जिससे उस जीव का मोक्ष हो जाता है। भगवान शंकर निरंतर राम नाम का जप करते हैं, ध्यान करते हैं, हम आप को शिक्षा देने के लिए। मानव मात्र का परमधर्म ईश्वर की भक्ति है। भक्त शिरोमणि श्री लालाचार्य जी ने शरणागत भक्तों के धर्म का उपदेश दिया और अनंत जीवों को भगवान् के शरणागत किया। उनका मंगलमय चरित्र श्रवण करने से सहज भक्तों के हृदय में भगवान् की भक्ति का उदय हो जाता है। भक्त शिरोमणि श्रीपाद् पद्माचार्य की गुरु भक्ति का वर्णन श्री भक्तमाल में अत्यंत अनूठा है। भगवान् दूसरे साधनों से इतनी जल्दी प्रसन्न नहीं होते, जितना शीघ्र गुरु भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं। साधना मार्ग में ईष्ट, गुरु और मंत्र के प्रति अत्यंत निष्ठा होना आवश्यक है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *