पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीगुरुपूर्णिमा महोत्सव के पावन अवसर पर श्रीरामायण ज्ञानयज्ञ कथा श्रीरामकथा (षष्टम-दिवस) श्रीसीताराम विवाह-नगर दर्शन, पुष्प वाटिका प्रसंग, धनुषयज्ञ, परशुराम संवाद,
श्रीसीताराम विवाह। भगवान् श्रीसीताराम जी के विवाह में श्रीरामचरितमानस का ये पांच प्रसंग का स्मरण किया जाता है। श्रीरामजी ने लक्ष्मण जी को नगर दिखाने की आज्ञा मांगी, परंतु मुनि विश्वामित्र ने दोनों भाइयों को नगर देखने की आज्ञा दी। साथ में एक आज्ञा और भी दी- हे रघुनंदन! समस्त नगरवासी- आबालवनितावृद्ध तुम्हारे मंगलमय, मनोहर, मधुर स्वरूप का दर्शन करना चाहते हैं। उनके नेत्रों को सफल करके आना अर्थात् यदि आने में किंचित विलम्ब भी हो जाय तो भी चिंता नहीं करना।
इस तरह भगवान की नगर दर्शन लीला हुई। दोनों भाई प्रातः कालीन कृत्य से- संध्योपासनादि कर्म से निवृत्त होकर गुरुदेव से आज्ञा लेकर गुरुदेव की पूजा के लिये पुष्प लेने हेतु चले। श्रीजनकजी की पुष्प वाटिका का बड़ा सुंदर वर्णन है। पुष्प वाटिका में भगवान् श्रीसीतारामजी ने एक दूसरे को पहली बार देखा। भगवान् गुरुदेव की पूजा के लिये पुष्प लेने गये थे और भगवती सीता मां सुनैना की आज्ञा से गिरिजा भवानी का पूजन करने गयी थी। इस कथा से संसार को बहुत बड़ी शिक्षा है कि- यदि दुनियां का हर कुमार गुरु के सन्निकट रहे तो बुराइयों से बचेगा और दुनिया की हर कन्या भगवती की आराधना करे तो वह हर श्रेष्ठ योग्यता से संपन्न होगी और एक बड़े स्वस्थ और श्रेष्ठ समाज का निर्माण होगा। जय श्रीसीताराम।