जम्मू-कश्मीर। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में जनजातीय समुदाय के लिए सामाजिक समानता के एन नए युग की शुरुआत हुई है। पीआरआई और वन विभाग के परामर्श से जमीनी स्तर पर वन अधिकारों सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र तैयार किया है। उपराज्यपाल ने शनिवार को कन्वेंशन सेंटर जम्मू में जनजातीय समुदाय के सदस्यों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार प्रमाण पत्र वितरित किए। इस दौरान उपायुक्त राजोरी, जम्मू, पुंछ और किश्तवाड़ को उनके संबंधित जिलों में वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने वन अधिकार अधिनियम-2006 के पूर्ण कार्यान्वयन में उनकी भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया। इस अधिनियम के तहत समुदायों के हितों की रक्षा की जाती है, जिनका अस्तित्व वनों के बिना अधूरा है। सरकार ने जनजातीय समुदाय के युवाओं को स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ सर्वोत्तम शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। प्रवासी आबादी के लिए पारगमन आवास बनाने और आदिवासी गांवों को आदर्श गांवों के रुप में विकसित करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वन अधिकार प्रमाण पत्र अधिनियम जनजातीय आबादी को विकास की मुख्य धारा से जोड़ेगा। एलजी ने कहा कि जम्मू संभाग के दस जिलों से 10389 दावे प्राप्त हुए, जिनमें से 8000 से अधिक दावों की ग्राम सभा और वन अधिकार समितियों के स्तर पर जांच की गई है। अब उपमंडल स्तर की समितियां जांच कर रही हैं। राजोरी, पुंछ, उधमपुर और रामबन में पारगमन आवास में आदिवासी लोगों के लिए चिकित्सा सुविधाएं और उनके मवेशियों के लिए पशु औषधालय होगा। इस वर्ष क्लस्टर जनजातीय माडल गांव के लिए केंद्र सरकार और यूटी कैपेक्स बजट के साथ 73 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इस दौरान मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता आदि मौजूद रहे।