नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा-14ए से जुड़े एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को कराधान व्यवस्था (टैक्सेशन सिस्टम) को सरल और सुविधाजनक बनाने की सलाह दी। शीर्ष अदालत ने 18वीं सदी के प्रख्यात अर्थशास्त्री एडम स्मिथ का हवाला देते हुए कहा कि हर व्यक्ति के लिए चुकाया जाने वाला कर निश्चित होना चाहिए और यह मनमाना नहीं होना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कराधान व्यवस्था को सुविधाजनक और सरल बनाए रखने का प्रयास करे। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ विभिन्न बैंकों की तरफ से दायर उन अपीलों पर विचार कर रही थी, जिनमें आयकर अधिनियम की धारा-14 ए से संबंधित कर अधिकारियों के अधिकारों का मुद्दा उठाया गया था। पीठ ने अपने फैसले में कहा, यह देखने की जरूरत है कि कराधान व्यवस्था में अनुमान के लिए कोई जगह नहीं है। एक व्यक्ति या एक कॉरपोरेट को कर का भुगतान करना होता है और वह इसके लिए योजना तैयार करता है। सरकार को कराधान नीति को सुविधाजनक और सरल रखने का प्रयास करना चाहिए। जिस तरह सरकार किसी व्यक्ति के कर देने से बचने को पसंद नहीं करती है। उसी तरह यह शासन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी कर प्रणाली तैयार करे, जिसके लिए लोग अपनी सुविधा के हिसाब से बजट और योजना बना सके। यदि इन दोनों के बीच उचित संतुलन प्राप्त कर लिया जाता है, तो राजस्व सृजन की प्रक्रिया से समझौता किए बिना अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचा जा सकता है।