नई दिल्ली। अफगानिस्तान में इस्लामी कट्टरपंथियों के सत्ता पर काबिज होने और उसके बाद जम्मू-कश्मीर में तालिबान को भेजकर अशांति फैलाने के पाकिस्तान के नापाक मंसूबे को ध्वस्त करने के लिए सरकार ने सीमा प्रहरियों और सशस्त्र पुलिस को नए सिरे से प्रशिक्षित करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने घाटी में तालिबान के संभावित उपद्रव पर अंकुश लगाने के लिए उसी की तर्ज पर सुरक्षा बलों को तैयार रहने को कहा है। केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान ने कहा है कि पिछले माह अफगानिस्तान पर कट्टरपंथियों के कब्जे का भारत के सुरक्षा हालात पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसी के मद्देनजर सुरक्षा बलों और उनके खुफिया तंत्र को रणनीति और युद्ध नीति के हिसाब से अपग्रेड करने को कहा गया है। एक अधिकारी का कहना है कि मध्य और दक्षिण एशिया के नए भू-राजनीतिक हालात में बदलाव का भारत की सीमाओं और अंदरूनी हिस्सों में सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा। सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा कुछ दिन पहले जारी दिशानिर्देश में यह भी आशंका जताई गई थी कि पाकिस्तान से भारत के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से की खुली सीमा से घुसपैठ में वृद्धि हो सकती है। इसमें विदेशी लड़ाकों को भी उतारा जा सकता है। केंद्रीय सुरक्षा बलों और उसकी खुफिया शाखा ने इस बात को स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पड़ोसी देश में हलचल बढ़ गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीमा की सुरक्षा करने वाले बीएसएफ, एसएसबी, और आतंकरोधी ड्यूटी में तैनात सीआरपीएफ व जम्मू-कश्मीर पुलिस के मौजूदा सीमा प्रबंधन में बदलाव की जरूरत है। तालिबान लड़ाकों के तौर-तरीकों को देखते हुए युद्ध नीति को उन्नत करना होगा।