प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म का सही ढंग से करना चाहिए पालन: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ईश्वर भक्ति मानव मात्र का परम धर्म है, अपने कर्तव्य का सही ढंग से पालन करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है। ईश्वर की आराधना उपासना करना प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है। अपने जीवन का परमकर्तव्य मानकर परमदयालु, सबके सुहृद, परमप्रेमी, अंतर्यामी परमेश्वर के गुण, प्रभाव और प्रेम की रहस्यमयी कथा का श्रवण, मनन और पठन-पाठन करना तथा आलस्य रहित होकर उनके परम पुनीत नाम का उत्साहपूर्वक, ध्यान सहित निरन्तर जप करना। इस लोक और परलोक के संपूर्ण भोगों को क्षणभंगुर, नाशवान् और भगवान् की भक्ति में बाधक समझकर किसी भी वस्तु की प्राप्ति के लिये न तो भगवान् से प्रार्थना करना और न मन में इच्छा रखना तथा किसी प्रकार का संकट आ जाने पर भी उसके निवारण के लिये भगवान् से प्रार्थना न करना, अर्थात् हृदय में ऐसा भाव रखना कि प्राण भले ही चला जायें, परंतु इस मिथ्या जीवन के लिये विशुद्ध भक्ति में कलंक लगाना उचित नहीं है। जैसे भक्त प्रह्लाद ने पिता द्वारा बहुत सताये जाने पर भी अपने कष्ट निवारण के लिये भगवान् से प्रार्थना नहीं की। अपना अनिष्ट करने वाले को भी भगवान तुम्हारा बुरा करें इत्यादि किसी प्रकार के कठोर शब्दों से शाप न देना और उनका अनिष्ट होने की भी मन में इच्छा भी न रखना। भगवान की भक्ति के अभिमान में आकर किसी को वरदान आदि भी न देना जैसा कि भगवान तुम्हें आरोग्य करें, भगवान तुम्हारा दुःख दूर करें, भगवान तुम्हारी आयु बढ़ावें इत्यादि। परमात्मादेव आनंद रूप से सर्वत्र विराजमान है, श्री परमेश्वर का भजन सार है, इत्यादि निष्काम मांगलिक शब्दों का कहना सुनना। जीवन के हर पक्ष में निष्कामता, ईश्वर प्राप्ति कराने वाली है। कर्तव्य बुद्धि से कर्म करना, कर्तव्य बुद्धि से ही ईश्वर की आराधना करना, बदले में केवल ईश्वर की प्रसन्नता चाहना, इसके अलावा कुछ भी न चाहना, यह ईश्वर प्राप्ति का, ईश्वर कृपा का साधन है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नव-निर्माण निर्माणाधीन गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।