भगवान की वांग्मय पूजा है भागवत: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि भगवान की भक्ति कृपा साध्य है। भागवत भगवान् की वांग्मय पूजा है। जन-जन में भगवत प्रेम जागृत करने के लिये भगवद् कथा होनी चाहिए। भगवद् भक्ति, पुरुषार्थ से नहीं मिलती, भगवद् कृपा से मिलती है। भगवान् को प्रसन्न करने वाला कार्य करो। वेद सम्मत, धर्म सम्मत, कार्य करो, यज्ञ कर्म करो। भगवान् की प्रेरणा और भगवान की आज्ञा से कर्म करो। शास्त्र भगवान् की वाणी है। ईश्वर प्राप्ति की साधना पद्धति हमारे महापुरूषों ने बतलायी है। महापुरुष जिस मार्ग पर चले हैं, हमें उस मार्ग पर चलना है। महापुरुषों का सत्संग करें,

तीर्थयात्रा करें, तीर्थ में स्नान करें, दान करें और सत्संग करें। सत्संग करने से भगवान् तुम्हारे हृदय को शुद्ध कर देते हैं। अंदर की गंदगी साफ कर देते हैं। जलो मगर दीपक की तरह। जैसे दीपक स्वयं जलता है, और औरों को प्रकाश देता है। भक्ति में बालक बनो, ज्ञान में वृद्धि बनो, कर्म में युवा बनो। कभी चिंता न करें, चिंतन करें। जीवन का लक्ष्य क्या है? उसे पहचाने। हरिदर्शन,भजन,सत्संग करें। इससे अपना जीवन सुधारें, वही हमारा कर्तव्य है। हम धन के लिये रोते हैं, परिवार के लिये रोते हैं, कुर्सी के लिये रोते हैं,लेकिन क्या कभी भगवान् के लिए रोये? भगवान् के लिये रोओ। बालक बन कर रोओ। कबिरा हंसना दूर कर,कर रोने से प्रीति। बिन रोये कित पाइया प्रेम पिआरा मीत। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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