लज्जा पुरुषों और नारियों का है आभूषण: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा असंगता अर्थात् कर्मों में अनासक्ति रखना। कर्म करते हुए भी उसमें लिप्त न होना असंगता है। आसक्ति बांधती है और पाप कराती है। परिवार और धन के प्रति आसक्ति, मानव से क्या-क्या पाप नहीं कराती? जो घर, परिवार और संसार में रहकर भी लिप्त नहीं होता, वह जीवन में ही मुक्त हो जाता है। संत कबीर, तुलसीदास, सूरदास, नामदेव आदि गृहस्थ होते हुए, काम करते हुए भी, मोह ममता से दूर रहे। किसी संत ने लिखा है- दुनियां में हूं दुनियां का तलबगार नहीं हूं। बाजार में निकलता हूं खरीददार नहीं हूं। लज्जा-लज्जा अर्थात् संकोच (शर्म)। बुरे और गलत कार्य करने में आदमी संकोच करे, तथा सत्कर्म करने में गर्व का अनुभव करें, परंतु वर्तमान युग में सब उल्टा हो रहा है। प्रातः उठकर बड़ों को प्रणाम करने में नई पीढ़ी को लज्जा का अनुभव होता है, मंदिर जाने में भी लज्जा लगती है, परंतु बड़ों के सामने सिगरेट, बीड़ी, शराब, जुआ खेलने में लज्जा नहीं आती। वास्तव में लज्जा बुरे काम करने में अनुभव हो तो जीवन महान बन जाये। लज्जा पुरुषों और नारियों का आभूषण है।रामायण में जब सीता भी राम के साथ बन जाने को तैयार हुई और कौशल्या ने राम से, उसे समझाने को कहा तो श्रीराम को माता के सन्मुख पत्नी से वार्ता करते संकोच हुआ। वनवास में प्रयाग के निकट श्रीराम-लक्ष्मण और सीता को देखने के लिए आदिवासी इकट्ठा हो गये। सीता जी को घेर कर बनवासी महिलाओं ने पूछा, इन दो सुंदर युवकों में तुम्हारे वह कौन हैं? आज की देवी होती तो इशारा करके कहती- वह सांवरे मेरे पति हैं। परंतु सीता जी ने बड़े संकोच से पहले लक्ष्मण का परिचय दिया। सरल सुभाय शुभग तन गोरे।नाkiम लखन लघु देवर मोरे। यदि बुद्धिमान पास में बैठा हो तो स्पष्ट समझ लेगा की गोरे देवर हैं, शेष सांवरे राम ही सीता के पति हैं। भोली भाली ग्रामीण स्त्रियों को सीता जी आगे बताने से पहले संकोचवश पल्लू से तन ढ़कते हुए बोली-बहुरि बदन विधु अंचल ढ़ाकी। पियतन चितई भौंह करि बांकी।। खंजन मंजु तिरीछे नैननि। निजपति कह्यो तिन्हहि सिय सैननि। मां भगवती श्री सीता जी ने किस लज्जा, शालीनता और मर्यादा का परिचय दिया। सब देवियां गदगद् हो गई। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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