पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि नारद जी ने सुनाया कि भगवान् विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा कि यदि शीघ्र सिद्धि प्राप्त करनी हो तो व्यक्ति को भगवती दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। पराम्बा की जिन्होंने आराधना की है, उनके लिए भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हैं। आपके पुत्र ठीक रास्ते पर चलेंगे। आपकी पुत्रियों को श्रेष्ठ घर और वर की प्राप्ति होगी। आपकी बुद्धि निर्मल रहेगी। आपके घर सम्पत्ति की कमी नहीं रहेगी। आप पराम्बा मां को हृदय में बसा कर देखिए तो। “सदार्द्र चित्ता” मां का हृदय सदा गीला रहता है। सदा दया से आद्र (गीला) रहता है। अपने भक्तों पर कृपा करने के लिए मां सदा दयामयी रहती है। बस शरण में आने की जरूरत है। मां भगवती की हृदय से प्रार्थना करनी चाहिए।माँ न मैं आपका मंत्र जानता हूं, न तंत्र जानता हूं, न उपासना की पद्धति जानता हूं, स्तुति भी मुझे नहीं करनी आती। आवाहन कैसे करूं और पूजन करके विसर्जन कैसे करूं? यह भी मुझे नहीं आता। मेरी करुणामयी मां! माँ!! पुकारना जानता हूं। छोटा बच्चा मां के पीछे माँ! माँ! कहकर दौड़ता है और माँ उसे उठाकर गले लगा लेती है। हे करुणामयी माँ मुझे भी आप की कृपा चाहिए, मेरे सिर पर मां आपका हाथ चाहिए। मां! मैं जैसा भी हूं, आपका हूं। इसीलिए भगवान् विष्णु ब्रह्मा जी से कहते हैं, मैं भी मां का ही ध्यान करके शक्ति प्राप्त करता हूं और फिर संसार का पालन किया करता हूं।श्री ब्रह्मा जी ने भी मां भगवती की उपासना की। वह एक मंत्र का जप करते थे। यह नवार्ण मंत्र है, प्रचंड मंत्र है, जो मां के द्वारा ही उपदिष्ट है। नवार्ण मंत्र मिल जाए, भगवती की आराधना उपासना अपने जीवन में बन जाए तो समझो जीवन में किसी बात का अभाव रह नहीं सकता। लोक और परलोक दोनों बन जायेगा।सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।