शम की प्राप्ति बुद्धि की निर्मलता से ही है संभव: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ब्रह्म निर्विकार है और प्रत्येक जीव में है। शम की प्राप्ति बुद्धि की निर्मलता से ही संभव है। शम को सम से पाया जाता है। बुद्धि अपने-पराये, मित्र-शत्रु, मान-अपमान,हानि-लाभ में विषम रहती है। इसका स्वभाव ऊंट की पीठ की भांति कभी ऊपर तो कभी नीचे रहने का है। ऐसी राग द्वेष वाली बुद्धि में परमात्मा का प्रवेश नहीं होता, अतः बुद्धि की समता आवश्यक है। जैसे प्रायःसर्प टेढ़ा-मेढ़ा चलता है परन्तु बिल में प्रवेश होते ही सीधा हो जाता है। इसी तरह यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है तो बुद्धि को सरल और सम रखना होगा। अतः द्वन्दों को हटाकर, राग-द्वेष आदि से विरक्त करके परमात्मा में लगाने का प्रयास करना चाहिए। विचार शून्य बुद्धि ईश्वर का चिंतन कर सकती है। व्यर्थ का विचार छोड़ो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग,गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *