श्रेष्ठ कर्मों से व्यक्ति बनता है महान: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी ने कहां कि श्रीगुलाब बाबा की धूनी, देव- दरबार का पावन स्थल, सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय, समस्त भक्तों के स्नेह और सौजन्य से श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के तृतीय दिवस श्री-श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि- व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता। माता-पिता, परिवार और समाज के द्वारा प्राप्त संस्कार सुंदर संगति एवं अपने सुंदर कर्मों से व्यक्ति महान बनता है। गणपति से सीख- हमारे गणतंत्र में राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रीय पक्षी भी है, पशु भी है, राष्ट्रीय चिन्ह भी है, ध्वज भी है, गीत भी है। लेकिन राष्ट्रदेव नहीं है। गणतंत्र में यदि राष्ट्रदेव बनाने के योग्य कोई देव है तो वह है गणपति। गणपति को राष्ट्रदेव इसलिये बनायें क्योंकि राष्ट्र का नेता कैसा होना चाहिये, वह गणपति सिखाते हैं। गणानाम् पतिः गणपति उसका बड़ा नाक होना चाहिये, आबरू वाला होना चाहिये। उसके बड़े कान होने चाहिये, यानि सबकी सुने। सबसे छोटे व्यक्ति की भी बात सुनने को तैयार होना चाहिये। उसकी छोटी आंख यानि पैनी दृष्टि होनी चाहिये। उसका बड़ा पेट होता है, लेकिन भोजन खाने के अर्थ में नहीं सब रहस्य उसके अंदर भरा पड़ा हो, उसका हृदय विशाल होना चाहिये और यह सब होते हुए भी वह चूहे पर भी बैठे तो चूहा नहीं मरना चाहिये। चूहा गणपति का वाहन है। चूहा यानि पब्लिक। समाज का नेतृत्व करने वाले का वालों का बोझ अंत में जनता ही सहन करती है। लेकिन इतना आयकर का बोझा नहीं होना चाहिये कि जनता ही कुचल कर मर जाये। गणतंत्र में गणपति राष्ट्र देव हों। एक आदर्श रूप में हो गणपति। परम पूज्य संत श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य एवं सुंदर सी व्यवस्था में समस्त भक्तों के स्नेह और सहयोग से चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ के तृतीय दिवस प्रहलाद चरित्र पर्यंत कथा का गान किया गया। कल की कथा में गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्री रामचरित श्री कृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव की कथा का गान किया जायेगा।

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