नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि व्यवधान के बाद सदन को स्थगित करने से सदन का कार्य बुरी तरह प्रभावित होता है, संसदीय कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले सदस्यों को निराशा होती है और कानून निर्माण की प्रक्रिया प्रभावित होती है। राज्यसभा सभापति नायडू ने दूसरे राम जेठमलानी मेमोरियल कार्यक्रम के दौरान ये बात कही। इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि आखिर क्यों वह हंगामा होने के साथ ही सदन स्थगित कर देते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि व्यवधान के कारण विधेयकों के प्रतिपालन में देरी का सामाजिक-आर्थिक असर होता है। विधायिका को जनता के प्रतिनिधि के तौर पर लोगों के लिए ही काम करना चाहिए। इसे उत्पादक होना चाहिए न कि व्यवधान पैदा करने वाला। राज्यसभा सभापति ने कहा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि हंगामा होने पर मैं सदन की कार्यवाही स्थगित क्यों कर देता हूं, इस पर मैं कहता हूं ऐसा इसलिए कि मैं नहीं चाहता कि लोग सदन का हंगामा और इसका गलत रूप देखें। लेकिन इसका एक और पहलू है कि लोगों को पता होना चाहिए कि किस तरह का व्यवधान उत्पन्न होता है और वह अपने कदम (सदन स्थगन) पर दोबारा विचार कर रहे हैं।