लखनऊ। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की ओर से अमृत महोत्सव के तहत बीएचयू के विज्ञान संस्थान संगोष्ठी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। इसमें वक्ताओं ने भारतीय इतिहास से जुड़े सांस्कृतिक आयामों पर चर्चा की। इस दौरान बीएचयू के प्रभारी वीसी प्रो. वीके शुक्ला ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बारे में युवाओं को जानना बहुत जरूरी है। मुख्य वक्ता अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला ने कहा कि भारतीय इतिहास के ऐसे अनेक बिंदु हैं। जिनपर अभी बहुत कुछ लिखा जाना बाकी है और इतिहास शिक्षकों एवं शोधार्थियों को इस दिशा में काम करने की जरूरत है। काशी विद्यापीठ के इतिहासविद् प्रो. अशोक कुमार सिंह ने भारतीय संदर्भ में इस्लामिक साम्राज्यवाद को तीन चरणों में विभाजित करते हुए उसके विरोध में उस दौर में लगातार हो रहे भारतीय प्रतिरोध पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में डॉ. बालमुकुद पांडेय, प्रो. अरुणा सिन्हा, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र के निदेशक डॉ. आशुतोष भटनागर, डॉ. अमित उपाध्याय आदि ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विनोद और डॉ. जयलक्ष्मी कौल ने बताया कि दो दिन में शोध पत्र भी पढ़े जाएंगे।