नई दिल्ली। गुरुवार यानि आज हरतालिका तीज का त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में सभी तरह के व्रत-त्योहार में इस पर्व का विशेष महत्व होता है। इसमें सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए शाम के समय में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करती हैं। हरतालिका तीज व्रत में सुहागिन महिलाएं जल ग्रहण नहीं करती हैं। इसमें व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है। मान्यता है कि माता पार्वती ने इस दिन भगवान शिव को पति के रूप में कठोर तपस्या के बल पर प्राप्त किया था। यह व्रत सभी कठोर व्रतों में से एक है। हरतालिका तीज पूजन सामग्री:- भगवान गणेश और माता पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए काली गीली मिट्टी, शमी के पत्ते, धूतरे का फूल, माला-फूल और फल, बेलपत्र, जनैऊ, वस्त्र,कलावा, बताशे, श्रीफल, चंदन, घी, कुमुम, लकड़ी का पाटा, पूजा का नारियल, श्रृंगार का सारा सामान, गंगाजल, पंजामृत आदि। हरतालिका तीज पूजन शुभ मुहूर्त:- सुबह के समय हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त- 06:02 से 08:32 तक, पूजा अवधि: 2 घंटे 30 मिनट। प्रदोष काल हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त-18:33 से 20:51 तक, पूजा अवधि: 2 घंटे 18 मिनट। तृतीया तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर 2021 को 02: 33 AM। तृतीया तिथि समापन-10 सितंबर 2021 को 12:18 AM हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि-प्रदोष काल में पूजा करना काफी शुभफल दायक होती है। सूर्यास्त के बाद मुहूर्त को प्रदोषकाल कहते हैं। इसमें दिन और रात का मिलन होता है। हरतालिका पूजा के लिए सबसे पहले काली गीली मिट्टी से अपने हाथों से गूंदकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। फिर मूर्ति को फूलों से सजे चौकी पर रखें। ध्यान रहें इस चौकी में लाल कपड़ा अवश्य बिछा हुआ होना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा के साथ भगवान गणेश को भी स्थापित करें। इसके बाद सभी देवी-देवताओं का आह्रान करते हुए पूजा आरंभ करें। हरतालिका तीज में प्रयोग की जानी वाली सभी पूजन सामग्रियों को एक-एक करके भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करें। आरती करें और कथा सुनें।