धर्म। हमारे देश में विभिन्न त्योहारों को बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इनमें से एक पोंगल भी है, जो कि तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव है। जानकारी के मुताबिक इसमें सूर्य देव, प्रकृति और कई जानवरों की पूजा कर उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। पोंगल से तमिल महीने ‘थाई’ की शुरुआत होती है, जिसे शुभ महीना माना जाता है। आमतौर पर हर साल पोंगल की शुरुआत 14 या 15 जनवरी से होती है। इस पर्व में बनने और खाए जाने वाले पकवान का नाम भी पोंगल है। इस डिश को बनाने के लिए दूध में चावल को उबाला जाता है। पोंगल तमिल शब्द पोंगु से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘उबालना’।
तमिलनाडु में पोंगल बहुत से उत्साह के साथ मनाया जाता है। ये 4 दिवसीय त्योहार इस साल 15 जनवरी से 18 जनवरी तक मनाया जाएगा। आइए जानते हैं चार दिवसीय पोंगल पर्व में शामिल हर दिन का महत्व और इन दिनों को कैसे मनाया जाता है-
पहला दिन- भोगी पोंगल:-
पोंगल के पहले दिन को भोगी कहा जाता है। इस दिन नए कपड़े पहने जाते हैं और घरों को सजाया जाता है।
दूसरा दिन- सूर्य पोंगल:-
दूसरा दिन पोंगल का मुख्य दिन होता है और इसे सूर्य पोंगल कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली या कोल्लम बनाई जाती है। इसी दिन विशेष खीर तैयार की जाती है।
तीसरा दिन- माटू पोंगल:-
पोंगल के तीसरे दिन को माटू पोंगल कहा जाता है। इस दिन माटू यानी मवेशियों की पूजा की जाती है।
चौथा दिन- कन्नम पोंगल:-
पोंगल के चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहा जाता है। इस दिन, समुदाय को महत्व दिया जाता है और संबंधों को मजबूत किया जाता है। परिवार वाले भोजन करने के लिए एक जगह एकत्रित होते हैं। बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन लोग मयिलट्टम और कोलाट्टम जैसे पारंपरिक भारतीय लोक नृत्य भी दिखाते हैं।