नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश-विदेश की जनता से अपने विचारों को साझा किया। यह मासिक रेडियो कार्यक्रम का 80वां एपिसोड था। इस दौरान सबसे पहले उन्होंने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को याद किया और उन्होंने कहा कि 41 साल बाद हॉकी में जान आई है। उन्होंने खेल के लिए ‘अब खेलें भी और खिलें भी’ जैसा नया नारा भी दिया। इस दौरान उन्होंने जन्माष्टमी और विश्वकर्मा पूजा जैसे पर्व के महत्व को भी समझाया। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में जितने राज्य वाटर सिटी प्लस होंगे उतनी ही स्वच्छता बढ़ेगी और हमारी नदियां भी साफ होंगी और पानी बचाने की मानवीय जिम्मेदारी भी निभाने होंगे। पीएम मोदी ने कहा कि हमेशा की तरह, जब भी आपलोग कुछ नया करें, नया सोचें, तो उसमें मुझे भी जरूर शामिल करिएगा। मुझे आपके पत्र और मेसेज का इंतजार रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि देश में 62 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है, लेकिन फिर भी हमें सावधानी रखनी है, सतर्कता रखनी है। पीएम मोदी ने कहा कि हमें हुनर को सम्मान देना होगा, हुनरमंद होने के लिए मेहनत करनी होगी। हुनरमंद होने का गर्व होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि अगले कुछ दिनों में ही ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी आने वाली है। भगवान विश्वकर्मा को हमारे यहां विश्व की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में ये भी कहा गया है कि विश्वस्य कृते यस्य कर्मव्यापारः सः विश्वकर्मा। अर्थात, जो सृष्टि और निर्माण से जुड़े सभी कर्म करता है वह विश्वकर्मा है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है। संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है, जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरुकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं। पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिकता को समझें, उसके पीछे के अर्थ को समझे। इतना ही नहीं हर पर्व में कोई न कोई सन्देश है, कोई-न-कोई संस्कार है। हमें इसे जानना भी है, जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में उसे आगे बढ़ाना भी है। पीएम मोदी ने कहा कि कल जन्माष्टमी का महापर्व भी है। जन्माष्टमी का ये पर्व यानी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व। हम भगवान के सब स्वरूपों से परिचित हैं, नटखट कन्हैया से ले करके विराट रूप धारण करने वाले कृष्ण तक, शास्त्र सामर्थ्य से ले करके शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण तक। पीएम मोदी ने कहा कि इस बार ओलंपिक ने बहुत बड़ा प्रभाव पैदा किया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में खेल जगत में जो कुछ भी हुआ, विश्व की तुलना में भले कम होगा, लेकिन विश्वास भरने के लिए तो बहुत कुछ हुआ।मेरे देश का युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ अपने आपको केंद्रित कर रहा है। सर्वोत्तम करना चाहता है, सर्वोत्तम तरीके से करना चाहता है। ये भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा। पीएम मोदी ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही हमारे देश में खिलौनों की चर्चा हो रही थी। देखते ही देखते जब हमारे युवाओं के ध्यान में ये विषय आया उन्होंने भी मन में ठान लिया कि दुनिया में भारत के खिलौनों की पहचान कैसे बने। पीएम मोदी ने कहा कि आज का युवा मन बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नए रास्ते बनाना चाहता है। अनजान जगह पर कदम रखना चाहता है। मंजिल भी नयी, लक्ष्य भी नए, राह भी नयी और चाह भी नयी, अरे एक बार मन में ठान लेता हैं न युवा, जी-जान से जुट जाता है। दिन-रात मेहनत कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि जब खेल-कूद की बात होती है न, तो स्वाभाविक है हमारे सामने पूरी युवा पीढ़ी नजर आती है और जब युवा पीढ़ी की तरफ गौर से देखते हैं कितना बड़ा बदलाव नजर आ रहा है। युवा का मन बदल चुका है।पीएम मोदी ने कहा कि कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला।