स्वास्थ्य। स्वस्थ शरीर के लिए लिवर का बड़ा योगदान होता है। यह ब्लड में मौजूद विषैले तत्वों की पहचान कर उन्हें शरीर मे फैलने से रोकता है। लेकिन अगर शरीर का यही महत्वपूर्ण अंग बीमार पड़ जाए तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। Hepatitis A लिवर की एक बीमारी है। यह हेपेटाइटिस ए वायरस के कारण होने वाला एक अत्यधिक लिवर संक्रमण है। वायरस लिवर की सूजन का कारण बनता है और यह लिवर की कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
दूषित भोजन या पानी से या संक्रमित व्यक्ति या वस्तु के निकट संपर्क से हेपेटाइटिस ए होने की सबसे अधिक संभावना है। हेपेटाइटिस ए के हल्के मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। अधिकांश लोग जो संक्रमित होते हैं वे बिना किसी स्थायी लिवर क्षति के पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। बार-बार हाथ धोने सहित अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करने से वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। हेपेटाइटिस ए की बीमारी से बचाव के लिए हेपेटाइटिस ए का टीका लगाया जाता है।
हेपेटाइटिस ए के लक्षण:-
हेपेटाइटिस ए के लक्षण आमतौर पर वायरस होने के कुछ सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस ए वाले सभी लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं। अगर आपको ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
1.असामान्य थकान और कमजोरी।
2.अचानक मतली, उल्टी और दस्त।
3.पेट में दर्द या बेचैनी, विशेष रूप से आपकी निचली पसलियों के नीचे ऊपरी दाहिनी ओर, जो आपके लिवर
पर है।
4.मिट्टी- या भूरे रंग का मल जाना।
5.भूख में कमी होने लगती है।
6.हल्का बुखार आना।
7.गहरा मूत्र जाना।
8.जोड़ों में दर्द होना।
9.त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद भाग पीला होना (पीलिया)
10.तीव्र खुजली।
हेपेटाइटिस ए के ये लक्षण अपेक्षाकृत हल्के हो सकते हैं और कुछ हफ्तों में चले जाते हैं। हालांकि कभी-कभी हेपेटाइटिस ए के परिणामस्वरूप गंभीर बीमारी होती है जो कई महीनों तक चलती है। इसलिए ये लक्षण दिखाई देने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
जांच एवं उपचार:-
हेपेटाइटिस ए की पहचान के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा लिवर फंक्शन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड के माध्यम हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों की जांच की जाती है। टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर डॉक्टरों की सलाह पर तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी जांच जरूर करानी चाहिए।