अफगानिस्तान में बेहद अनिवार्य है एक समावेशी प्रशासन: पीएम मोदी

नई दिल्ली। जी-20 की अहम बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान को आतंक का गढ़ नहीं बनने देना हमारी वैश्विक जिम्मेदारी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर सुनिश्चित करना होगा कि वहां की जमीन का इस्तेमाल अलगाववादी और आतंकियों को पनाह देने के लिए न हो। साथ ही वहां के लोगों के मानवाधिकारों और रक्षा के लिए भी प्रयास करने होंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधन में पीएम मोदी ने अफगान नागरिकों की मदद के लिए तत्काल और निर्बाध मानवीय सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में एक समावेशी प्रशासन होना बेहद अनिवार्य है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2593 को अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के लिए जरूरी बताते हुए मोदी ने अंतरर्राट्रीय समुदाय को इसके लिए एकजुट होने का आह्वान किया। भारत की अध्यक्षता में ही 30 अगस्त को यह संकल्प पारित हुआ था। इसमें अफगानिस्तान के नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने देने का संकल्प लिया गया था। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि पीएम मोदी ने जी20 बैठक में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की जरूरत को रेखांकित किया। साथ ही ड्रग्स व हथियारों की तस्करी को लेकर भी चिंता व्यक्त की व अंतरर्राट्रीय समुदाय से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने साथ-साथ दूसरों के भी अधिकारों की चिंता करें, दूसरों के अधिकारों को अपना कर्तव्य बनाएं और हर किसी के साथ ‘सम भाव’ व ‘मम भाव’ रखें। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह का व्यवहार लोकतंत्र के लिए भी बेहद नुकसानदायक होता है। पीएम मोदी ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विकास’ का मंत्र हर व्यक्ति के लिए मानवाधिकारों की गारंटी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों का मूल हर व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करना है।

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