बेटों के साथ बेटियां भी खेलों में दिला रही पदक

बर्मिंघम। यहां चल रहे राष्ट्रमण्डल खेलों में भारतीय पहलवानों ने गोल्डेन हैटट्रिक लगाकर भारत के गौरव में श्री वृद्धि की है। उनकी यह उपलब्धि पहलवानों के लिए जहां प्रेरणास्रोत हैवही देश को गौरवान्वित करने वाली है। स्टार पहलवान बजरंग पुनिया ने 65  किलोग्राम भारवर्ग की फ्री-स्टाइल कुश्ती में कनाडा के पहलवान  लचलान मैकनील और 86 किलोग्राम भारवर्ग में दीपक पुनिया ने फ्री-स्टाइल कुश्ती में पाकिस्तान के पहलवान मोहम्मद इनाम को धूल चटाकर गोल्ड पर कब्जा जमा लिया।

वहीं साक्षी मलिक ने यह साबित कर दिया कि भारत की बेटियां भी किसी मामले में पीछे नहीं हैं। साक्षी मलिक ने 62 किलोग्राम भारवर्ग की फ्री- स्टाइल  कुश्ती में कनाडा की गोडिनेज गोजालेज को हराकर इतिहास रच दिया। उनका यह पहला अवसर है जब उन्होंने गोल्ड को अपने नाम कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का दबदबा बनाने में हमारे पहलवानों और खिलाड़ियों का योगदान सराहनीय है। देश के बेटे और बेटियों ने खेलों की दुनिया में भारत की झोली पदकों से भर दी है। भारत अब तक नौ स्वर्ण आठ रजत और नौ कास्य पदक हासिल कर चुका है। विश्व अण्डर- 20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में मेरठ की रूपल जहां दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं।

वहीं मेरठ की बहू दिव्या ने 68 किलोग्राम भारवर्ग की फ्री-स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक और हरियाणा की अंशु मलिक 57 किलोग्राम भारवर्ग फ्री-स्टाइल स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम कर भारत के बढ़ते दबदबे को प्रदर्शित किया है। यह दबदबा बना रहे इसके लिए राज्य सरकारों को खुलकर उनकी मदद में आगे आना चाहिए जिससे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिले।

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